🌸 शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण का पावन प्रवास पाकर पुलक उठा पवई 🌸
– जन-जन पर आशीषवृष्टि करते आचार्यश्री पहुंचे नाहर इण्टरनेशनल स्कूल के प्रांगण
– ईमानदारी, अहिंसा, संयम व धर्मोपासना से दुर्गति से हो सकता है बचाव : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
– पवईवासियों ने आचार्यश्री के स्वागत में दी भावनाओं को अभिव्यक्ति
– स्वागत में विधायक श्री दिलीप लांडे व जीतो के चेयरमेन श्री सुखराज नाहर ने भी व्यक्त किए हृदयोद्गार
11.01.2024, गुरुवार, पवई, मुम्बई (महाराष्ट्र) : जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देने वाले, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी के चरणस्पर्श को पाकर पवई की धरा पुलकित हो उठी। अपने आराध्य को अपने आंगन में पाकर पवईवासी खुशी से झूम उठे। गुरुवार को प्रातःकाल शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कांजुरमार्ग से गतिमान हुए। जन-जन को अपने आशीष से लाभान्वित करते हुए आचार्यश्री पवई की ओर बढ़ चले। उत्साही पवई के श्रद्धालु मार्ग से ही अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करने को पहुंच गए थे। स्थान-स्थान पर जैन एवं जैनेतर लोगों को अपने दर्शन और मंगलपाठ से आह्लादित करते हुए आचार्यश्री ने जैसे ही पवई की सीमा में पावन प्रवेश किया, पवईवासी प्रसन्नता से खिल उठे। बुलंद जयघोष के साथ भव्य स्वागत जुलूस महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी का अभिवादन कर रहा था। एक जगह तारक मेहता का उल्टा चश्मा धारावाहिक में दया बहन का पात्र अदा करने वाली दिशा वकानी ने गुरुदेव के दर्शन किए। हीरानंदानी क्षेत्र पावन बनाते हुए स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री पवई, चांदीवली स्थित नाहर इण्टरनेशनल स्कूल में पधारे। नाहर सेल्स आफिस के निकट बने प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि यह संसार अध्रुव है, अशाश्वत है। इस संसार में दुःख भी प्रचुर मात्रा में है। आदमी के जीवन में कष्ट, रोग, दुःख, एक चिन्ता मिटती है तो दूसरी समस्या सामने खड़ी हो जाती है। ऐसी स्थिति में ऐसा कौन-सा कर्म किया जाए, जिससे इस अधु्रव जीवन के बाद दुर्गति में न जाना पड़े? वर्तमान में मनुष्य जीवन प्राप्त है, जो दुर्लभ बताया गया है। यह चौरासी लाख जीव योनियों में महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस मानव जीवन में जितनी उत्कृष्ट साधना की जा सकती है, वह किसी अन्य भव में नहीं की जा सकती। ऐसे दुर्लभ मानव जीवन को भी जो आदमी भोग और व्यसनों में व्यतीत कर देता है, वह मूढ़ होता है। कोई सोने की थाल से कूड़ा साफ करे, कोई अमृत से अपने गंदे पैर धोता है, कोई श्रेष्ठ हाथी से बोझ ढ़ोता है, कोई चिन्तामणि रत्न प्राप्त कर भी उससे कौआ आदि पक्षी को उड़ाए- ये सभी मूढ़ता के लक्षण हैं। इसी प्रकार दुर्लभ मानव जीवन का जो पापों और असंयम में गंवा देता है, वह मूढ़ और प्रमादी होता है। आदमी को इस मानव का जीवन का बढ़िया उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी के पास अच्छी चिन्तनशीलता हो, प्रबन्धन व्यवस्था की जानकारी हो तो इसके साथ-साथ आदमी को अपने समय का प्रबन्धन करने व अपने गुस्से आदि बुराइयों का त्याग करने का प्रयास हो तो मानव जीवन की अगली गति अच्छी हो सकती है। आदमी अपने जीवन में यह प्रयास करे कि झूठ बोलने और चोरी करने से यथासंभव बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपनी जुबान से झूठे आरोप, झूठी गवाही आदि से बचने का प्रयास होना चाहिए। आदमी को चोरी से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को ईमानदारी के पथ पर चलने का प्रयास करना चाहिए। ईमानदारी रखने के लिए आदमी को कई बार तपना पड़ता है, कुछ प्रतिकूलताएं भी झेलनी पड़ती हैं। इसके लिए भी आदमी को झूठ से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को ज्यादा गुस्सा करने से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। दिमाग में शांति रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अहिंसा के पथ पर चलना चाहिए। जीवन में सादगी और सदाचार रहे। आदमी के जीवन में सद्गुणों का विकास हो। नशीले पदार्थों के सेवन से बचने का प्रयास करना चाहिए। इसके उपरान्त आदमी के जीवन में धर्म की साधना भी करने का प्रयास करना चाहिए। जितना समय मिले धर्म की साधना, स्वाध्याय आदि भी हो। ईमानदारी, अहिंसा, संयम और धर्मोपासना- ये चार बातें जीवनशैली के साथ जुड़ जाएं तो संभावना है कि आदमी दुर्गति से बच सकता है। आचार्यश्री पवईवासियों पर आशीषवृष्टि करते हुए कहा कि पवई के पूरे समाज में नैतिक मूल्यों का विकास होता रहे, जीवन का क्रम अच्छा रहे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने पवईवासियों को मंगल प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री के स्वागत में श्री शांतिलाल कोठारी व जीतो के चेयरमेन श्री सुखराज नाहर ने भी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया। विधायक श्री दिलीप लांडे ने भी आचार्यश्री के स्वागत में अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ समाज पवई द्वारा डायरेक्ट्री पूज्यचरणों में लोकार्पित की गई।
मुख्य प्रवचन कार्यक्रम से पूर्व नाहर इंटरनेशनल कॉलेज में एलिवेट कार्यक्रम समायोजित हुआ। अचर्यप्रवर ने विद्यार्थियों को जीवन श्रेष्ठ बनाने की प्रेरणा प्रदान की एवं ड्रग्स, नशामुक्त बनने के लिए प्रेरित किया।