🌸 जन-जन को सन्मार्ग दिखाने वाले शांतिदूत महाश्रमण का कांजुरमार्ग में शुभागमन 🌸
-स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री पहुंचे कांजुरमार्ग स्थित लोढ़ा ऑरम ग्रांडे
-मानव के लिए धर्म व अध्यात्म हैं वास्तविक त्राण-शरण : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-हर्षित कांजुरमार्गवासियों ने दी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति
-अखिल भारतीय आतंकवाद विरोध मोर्चा के अध्यक्ष श्री एमएस बिट्टा ने भी किए आचार्यश्री के दर्शन
10.01.2024, बुधवार, कांजुरमार्ग, मुम्बई (महाराष्ट्र) : मुम्बई महानगर के प्रत्येक उपनगरों में मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए महाश्रम करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी बुधवार को अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए कांजुरमार्ग में पधारे। अपने आराध्य को अपने नगर में पाकर कांजुरमार्गवासी हर्षित नजर आ रहे थे। स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री कांजुरमार्ग में स्थित लोढ़ा ऑरम ग्रांडे में पधारे। आचार्यश्री का एकदिवसीय प्रवास यहीं निर्धारित है। कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित निटको हाउस में प्रवचन पण्डाल में उपस्थित श्रद्धालु जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि अर्हतों, सिद्धों, साधुओं और केवली प्रज्ञप्त धर्म की शरण स्वीकार करना आध्यात्मिक संदर्भ में बताया गया है। केवली प्रज्ञप्त धर्म की शरण सबका मूल है। केवली प्रज्ञप्त धर्म की शरण में आकर ही आदमी परम सुख को प्राप्त हो सकता है। परिजन, स्वजन, सगे-सम्बन्धी न आदमी को शरण दे सकते हैं और न ही आदमी अपने स्वजन और परिजनों को त्राण और शरण दे सकता है। व्यवहार के जगत में लोगों को एक-दूसरे से सहायता मिलती है। लोगों के द्वारा किसी को सुरक्षा भी मिल जाती है। राजनेता आते हैं, उनके साथ कितने सुरक्षाकर्मी भी आते हैं। इस प्रकार आदमी किसी के सुरक्षा व त्राण देने का प्रयास करता है। बीमारी हो जाने पर कितनी दवाइयां, डॉक्टर्स आदि की व्यवस्था होती है तो वे स्वस्थ भी हो जाते हैं। कितने गरीबों को धनाढ्यों द्वारा त्राण-शरण भी दिया जाता है। यह व्यवहार जगत की बात है, किन्तु जो बात शास्त्रकार ने बताई है, वह भी परम सत्य है। बीमारी, बुढ़ापा और मृत्यु-ऐसी स्थितियां हैं, जहां न कोई पैसा, न कोई बल, न ज्ञान और न ही कोई डॉक्टर्स ही त्राण और शरण बन सकता है। डॉक्टर्स भी एक समय के बाद जवाब दे देता है। धर्म-अध्यात्म की साधना ही एकमात्र ऐसी त्राण बनती है, जिसके माध्यम से आत्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति कर सकती है। इसलिए आदमी को धर्म-अध्यात्म की शरण में रहने का प्रयास करना चाहिए। अध्यात्म और धर्म की साधना करने व शरण में जाने से सम्पूर्ण रूप से त्राण और शरण की प्राप्ति हो सकती है। गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी जीवन में धर्म-अध्यात्म की साधना चलती रहे, ताकि आत्मा का कल्याण हो सके। आचार्यश्री ने कांजुरमार्ग आगे के संदर्भ में कहा कि आज कांजुरमार्ग आए हैं। यहां के लोगों के जीवन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की चेतना का अच्छा विकास होता रहे। उपस्थित कांजुरमार्गवासियों को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उद्बोधित किया। आचार्यश्री के स्वागत में उपस्थित स्थानीय विधायक श्री सुनील रावत ने कहा कि मैं परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का कांजुरमार्ग की धरती पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री सुरेश लोढ़ा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी। ज्ञानार्थियों ने संकल्पों का उपहार अर्पित किया तो आचार्यश्री ने बच्चों को निरवद्य संकल्पों का त्याग कराया। तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों तथा तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने भी पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल व तेरापंथ किशोर मण्डल ने संयुक्त रूप से अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के अध्यक्ष श्री मनिन्दर सिंह बिट्टा ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में मानवता की रक्षा के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा करने वाले परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी को मैं श्रद्धा के साथ वंदन करता हूं। आप जैसे संतों के दर्शन का हमें निरंतर लाभ मिलता रहे। निटको हाउस के ऑनर श्री विवेक तलवार ने भी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी।