






🌸 कथनी और करनी में हो समानता : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-बान्द्रा वेस्ट से बान्द्रा ईस्ट में तेरापंथ के देदीप्यमान महासूर्य महाश्रमण
-भव्य स्वागत जुलूस संग आचार्यश्री पहुंचे एल.एस. रहेजा स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर
-आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंची तारक मेहता के उल्टा चश्मा की टप्पू सेना
13.12.2023, बुधवार, बान्द्रा (ईस्ट), मुम्बई (महाराष्ट्र) : भारत की आर्थिक राजधानी, महाराष्ट्र राज्य की राजधानी मुम्बई वर्तमान में मानों आध्यात्मिक नगरी के रूप में परिणत हो चुकी है। चौबीस घंटे, व्यापार, धंधा, नौकरी, पेशा आदि कार्यों में तल्लीन रहने वाली जनता इस समय जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, आध्यात्मिक गुरु आचार्यश्री महाश्रमणजी की अमृतवाणी का रसपान कर अपने जीवन को धर्म से भावित बना रही है। श्रद्धालु अपने कार्यों को गौण कर महातपस्वी की मंगल सन्निधि प्राप्त कर रहे हैं और अपने भीतर आध्यात्मिकता के भाव जागृत कर रहे हैं। प्रातःकाल आचार्यश्री का जब विहार होता है, तब काफी संख्या में श्रद्धालु जनता अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करते हुए उनकी विहार सेवा करती है। आचार्यश्री के निर्धारित स्थान पर पहुंच जाने पर उनके प्रवचन का श्रवण करती है, मंगल आशीष प्राप्त करने के उपरान्त भी जनता अपने आराध्य की उपासना में निरंतर लगी रहती है। प्रातःकाल बुधवार को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना के साथ बान्द्रा पश्चिम पाली हिल्स से मंगल प्रस्थान किया। मार्ग में श्रद्धालुओं को आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री गंतव्य की ओर गतिमान थे। मायानगरी के मार्गों पर गतिमान महातपस्वी को देखकर अनजान लोग अपलक देखते रह जा रहे थे। बान्द्रावासियों ने भव्य स्वागत जुलूस के साथ अपने आराध्य का भावभरा अभिनंदन किया। आचार्यश्री बान्द्रा वेस्ट से बान्द्रा ईस्ट में स्थित एल.एस. राहेजा स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में पधारे। आज का प्रवास यहीं निर्धारित था। प्रवास स्थल के सामने की ओर स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज क्रिड़ांगण में बने प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि यह पुरुष अनेक चित्तों वाला होता है। मानव का मन घोड़े के समान तीव्र वेग से दौड़ने वाला है। गलत विचारों के कारण चित्त रूपी अश्व उत्पथ में भी चला जाता है। एक ही मानव के चित्त में कभी बड़ा वात्सल्य, करुणा के भाव उमड़ते हैं, तो कभी गुस्से का भाव भी आ जाता है। कभी प्रेम तो कभी द्वेष के भाव आ जाते हैं। उसी आदमी के मन में कभी अच्छे और नेक विचार भी आते हैं तो वही आदमी किसी का अहित, बुरा करने, दूसरे के नुक्सान करने का प्रयास भी कर लेता है। मनुष्य को शुभ भावों में रहने का प्रयास करना चाहिए। मनुष्य का मन ही बन्धन और मन ही मोक्ष का कारण बनता है। इसलिए आदमी को अपने मन के भावों को शुद्ध रखने का प्रयास करना चाहिए। कई बार आदमी बाहर से बड़ा स्नेह, आदर का प्रदर्शन करता है, किन्तु भीतर में छल, कपट, नुक्सान और बुरा करने की भाव होती है। ऐसे बुरे विचारों का त्याग कर आदमी को अपनी कथनी और करनी को समान बनाने का प्रयास करना चाहिए। मन निर्मल हो, भावधारा शुभ हो तो जीवन का कल्याण हो सकता है। आचार्यश्री ने बान्द्रावासियों को पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि आज यहां आना हुआ है। यहां के लोग भी अपने भावों को शुभ रखने का प्रयास करें। उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखाजी ने भी अभिप्रेरित किया। आचार्यश्री की अभिवंदना में स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री श्री मदनलाल चपलोत, स्वागताध्यक्ष श्री जितेन्द्र परमार, तेयुप अध्यक्ष श्री महेश चपलोत व श्री मुकेश नौलखा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल-बान्द्रा की सदस्याओं ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। स्थानीय तेरापंथ किशोर मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल ने संयुक्त रूप में ‘मेमोरी ऑफ मुम्बई चतुर्मास’ को प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में तारक मेहता का उल्टा चश्मा धारावाहिक में कार्य करने वाली टप्पू सेना के कलाकार भी उपस्थित हुए। सभी ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।





