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October 20, 2025

Key line times

Key Line Times राष्ट्रीय हिंदी पाक्षिक समाचार पत्र है जो राजधानी दिल्ली से प्रकाशित होता है एंव भारत सरकार के सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आर.एन.आई. से रजिस्ट्रड है। इसका आर.एन.आई.न. DELHIN/2017/72528 है। यह समाचार पत्र 2017 से लगातार प्रकाशित हो रहा है।
सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर Key Line Times कुकमा, कच्छ (गुजरात),जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ का वर्ष 2025 का महामहोत्सव ‘मर्यादा महोत्सव’ गुजरात के कच्छ जिले...
सतीश चद लुणावत, राष्ट्रीय पत्रकार Key Line Times बिजयनगर,स्थानीय सरस्वती उच्च माध्यमिक विद्यालय ने 76 वाँ गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया कार्यक्रम के मुख्य...
सतीश चंद लुणावत, राष्ट्रीय पत्रकार Key Line Times बिजयनगर,कांग्रेस सेवादल मसूदा विधानसभा , अजमेर देहात सेवादल जिला यंग ब्रिगेड,शहर कांग्रेस सेवादल के संयुक्त तत्वावधान...
सतीश जैन,ऐसोसिएट एडिटर Key Line Times मदुरै सिटी ट्रैफिक पुलिस और एनएमआर कॉलेज के राष्ट्रीय कल्याण कार्यक्रम के छात्रों ने थेप्पाकुलम जंक्शन, कुरुविकरन रोड...
* सतीश चंद लुणावत, राष्ट्रीय पत्रकार Key Line Times ब्यावर,देश के अग्रणी बिजनेस सॉफ्टवेयर शिक्षा प्रदाता इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने श्री...
* सतीश चंद लुणावत, राष्ट्रीय पत्रकार Key Line Times ब्यावर,ब्यावर नगर की पी. एम. मान राजकीय बालिका छावनी सी. सैक. विद्यालय ब्यावर में भूगोल...
* सतीश चंद लुणावत, राष्ट्रीय पत्रकार Key Line Times ब्यावर,वर्द्धमान ग्रुप के तत्वावधान में श्री वर्द्धमान शिक्षण समिति द्वारा संचालित *भंवरलाल गोठी पब्लिक सी....
आर.के.जैन,मुख्य संपादक Key Line Times ग़ज़ल “ कड़वा सच , मीठा झूठ “ आज की दुनिया में, शब्दों की पहचान कहाँ बाकी है, मिठास...
🌸 *ज्ञानयुक्त आचरण हितावह : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण* 🌸 *-12 कि.मी. का विहार कर शांतिदूत पहुंचे सापेडा स्थित एसआरके इंस्टिट्यूट* *-आचार्यश्री ने लोगों को कल्याणकारी आचरण करने को किया उद्बोधित* *25.01.2025, शनिवार, सापेडा, कच्छ (गुजरात) :* सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की ज्योति जगाने वाले, जन-जन को सन्मार्ग दिखाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, महातपस्वी, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी वर्तमान में कच्छ जिले के गांवों और नगरों को पावन बना रहे हैं। युगप्रधान आचार्यश्री तेरापंथ धर्मसंघ के महामहोत्सव ‘मर्यादा महोत्सव’ भी भुज में करेंगे। इसके लिए भुजवासी ही नहीं, समस्त कच्छवासी अत्यंत उत्साहित हैं। कच्छ जिले में गतिमान युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ अंजारा के तेरापंथ भवन से गतिमान हुए। श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के प्रति कृतज्ञभाव अर्पित किए। आचार्यश्री लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर सापेडा में स्थित एस.आर.के. इंस्टिट्यूट परिसर में पधारे। इंस्टिट्यूट से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया। इंस्टिट्यूट परिसर में आयोजित प्रातःकाल के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित श्रद्धालु जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि ज्ञान और आचरण हमारे जीवन के दो पक्ष हैं। दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए भी हो सकते हैं। शास्त्र में कहा गया कि पहले ज्ञान हो और फिर ज्ञानपूर्वक आचरण हो। ज्ञान के बिना आदमी के जीवन में अंधकार रहता है। अज्ञान एक अधंकार है। अज्ञान एक दुःख भी है। अनेक प्रकार के ज्यादा खराब अज्ञान है। अज्ञानता के कारण हित और अहित को भी नहीं जान पाता, इसलिए ज्ञान का महत्त्व है और उसके बाद ज्ञान से युक्त आचरण का अपना महत्त्व है। सम्यक् ज्ञान से युक्त हितावह आचरण हो तो आदमी कल्याण की दिशा में आगे बढ़ सकता है। साधु को संयम की साधना करनी है, अहिंसा की आराधना करनी है तो साधु को जीव और अजीव को जानने की आवश्यकता होती है। यदि वह जीव-अजीव, पुण्य-पाप को नहीं जानता है तो भला व संयम की साधना और आराधना कितना कर सकता है। ज्ञान के दो प्रकार के होते हैं-एक वैदुष्य के रूप में ज्ञान और एक मूल तात्त्विक आध्यात्मिक ज्ञान होता है। साधना के क्षेत्र में तात्त्विक ज्ञान की अपेक्षा होती है, तो साधु अपनी साधना में आगे बढ़ सकता है। एक अनेकानेक विषयों का ज्ञान वैदुष्य के संदर्भ में होता है। संस्कृत, हिन्दी, प्राकृत, अंग्रेजी आदि भाषा का ज्ञान होना वैदुष्य को प्रदर्शित करता है। साधना करने वाले को पाप-पुण्य, जीव-अजीव, आश्रव, संवर-निर्जरा आदि के रूप में तात्त्विक ज्ञान की अपेक्षा होती है। सम्यक् ज्ञान हो और सम्यक्त्व आ गया तो कितना अच्छी बात हो सकती है। इसलिए ज्ञान हो गया तो आचरण भी अच्छा हो सकता है। ज्ञान होने पर आचरण अच्छा न हो तो भी वह कमी की बात हो सकती है। इसलिए ज्ञान के आलोक में आचरण अच्छा हो सकता है। आदमी के जीवन में सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र का योग होना चाहिए। इन दोनों का जीवन में अच्छा योग हो जाए तो आदमी की आत्मा कभी मोक्षश्री का भी वरण कर सकती है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त एस.आर.के. इंस्टिट्यूट के प्रिंसिपल श्री निर्देश भाई वुच ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। 1 min read

🌸 *ज्ञानयुक्त आचरण हितावह : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण* 🌸 *-12 कि.मी. का विहार कर शांतिदूत पहुंचे सापेडा स्थित एसआरके इंस्टिट्यूट* *-आचार्यश्री ने लोगों को कल्याणकारी आचरण करने को किया उद्बोधित* *25.01.2025, शनिवार, सापेडा, कच्छ (गुजरात) :* सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की ज्योति जगाने वाले, जन-जन को सन्मार्ग दिखाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, महातपस्वी, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी वर्तमान में कच्छ जिले के गांवों और नगरों को पावन बना रहे हैं। युगप्रधान आचार्यश्री तेरापंथ धर्मसंघ के महामहोत्सव ‘मर्यादा महोत्सव’ भी भुज में करेंगे। इसके लिए भुजवासी ही नहीं, समस्त कच्छवासी अत्यंत उत्साहित हैं। कच्छ जिले में गतिमान युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ अंजारा के तेरापंथ भवन से गतिमान हुए। श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के प्रति कृतज्ञभाव अर्पित किए। आचार्यश्री लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर सापेडा में स्थित एस.आर.के. इंस्टिट्यूट परिसर में पधारे। इंस्टिट्यूट से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया। इंस्टिट्यूट परिसर में आयोजित प्रातःकाल के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित श्रद्धालु जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि ज्ञान और आचरण हमारे जीवन के दो पक्ष हैं। दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए भी हो सकते हैं। शास्त्र में कहा गया कि पहले ज्ञान हो और फिर ज्ञानपूर्वक आचरण हो। ज्ञान के बिना आदमी के जीवन में अंधकार रहता है। अज्ञान एक अधंकार है। अज्ञान एक दुःख भी है। अनेक प्रकार के ज्यादा खराब अज्ञान है। अज्ञानता के कारण हित और अहित को भी नहीं जान पाता, इसलिए ज्ञान का महत्त्व है और उसके बाद ज्ञान से युक्त आचरण का अपना महत्त्व है। सम्यक् ज्ञान से युक्त हितावह आचरण हो तो आदमी कल्याण की दिशा में आगे बढ़ सकता है। साधु को संयम की साधना करनी है, अहिंसा की आराधना करनी है तो साधु को जीव और अजीव को जानने की आवश्यकता होती है। यदि वह जीव-अजीव, पुण्य-पाप को नहीं जानता है तो भला व संयम की साधना और आराधना कितना कर सकता है। ज्ञान के दो प्रकार के होते हैं-एक वैदुष्य के रूप में ज्ञान और एक मूल तात्त्विक आध्यात्मिक ज्ञान होता है। साधना के क्षेत्र में तात्त्विक ज्ञान की अपेक्षा होती है, तो साधु अपनी साधना में आगे बढ़ सकता है। एक अनेकानेक विषयों का ज्ञान वैदुष्य के संदर्भ में होता है। संस्कृत, हिन्दी, प्राकृत, अंग्रेजी आदि भाषा का ज्ञान होना वैदुष्य को प्रदर्शित करता है। साधना करने वाले को पाप-पुण्य, जीव-अजीव, आश्रव, संवर-निर्जरा आदि के रूप में तात्त्विक ज्ञान की अपेक्षा होती है। सम्यक् ज्ञान हो और सम्यक्त्व आ गया तो कितना अच्छी बात हो सकती है। इसलिए ज्ञान हो गया तो आचरण भी अच्छा हो सकता है। ज्ञान होने पर आचरण अच्छा न हो तो भी वह कमी की बात हो सकती है। इसलिए ज्ञान के आलोक में आचरण अच्छा हो सकता है। आदमी के जीवन में सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र का योग होना चाहिए। इन दोनों का जीवन में अच्छा योग हो जाए तो आदमी की आत्मा कभी मोक्षश्री का भी वरण कर सकती है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त एस.आर.के. इंस्टिट्यूट के प्रिंसिपल श्री निर्देश भाई वुच ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया।

सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर Key Line Times सापेडा, कच्छ (गुजरात) ,सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की ज्योति जगाने वाले, जन-जन को सन्मार्ग दिखाने वाले जैन...
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