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हर उगता सूरज एक नई किरण, नई उम्मीद लाता है।
नई खुशिया,नई तरंग,नई चेतना जगाता है।
बन जाता विशेष जब उसके साथ खास कुछ जुड़ जाता है।
ऐसा ही 26 जनवरी का ऐतिहासिक दिन आता है।
जिस दिन बना था भारत देश गणतंत्र।
उगा नवप्रभात,जनतंत्र,प्रजातंत्र का,
हर चेहरा खिल उठा, छाई खुशियां यत्र, तत्र, सर्वत्र।
सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश आज किस हाल में खड़ा है?
हर भारतीय के माथे पर यह प्रश्रचिन्ह बड़ा है।
स्वयं ही मूल्यांकन करें स्वयं का क्या वास्तव में हुए हैं हम स्वतंत्र?
कितना पारदर्शी है हमारा राजनीतिक तंत्र?
मानव मस्तिष्क है रसायन का है सुपर प्लांट,
नैतिकता के बीजों से मजबूत हो हमारा स्नायु तंत्र।
भाव बने पवित्र तो सुंदर होगा चरित्र।
मूल्यहीन हो जाएंगे अस्त्र और शस्त्र।
नहीं बनना हमें मात्र यंत्र , बनना होगा स्वतंत्र ।
नैतिक मूल्यों की सुरक्षा बने हर भारतीय का मूलमंत्र।
तब कोई नहीं होगा परतंत्र ,जीत जाएगा गणतंत्र।
मीना दुगड़