🌸 अणुव्रत का मूल है संयम : अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-जोगेश्वरी में पधारे अध्यात्म जगत के योगी आचार्यश्री महाश्रमण
-अरविंद गंडभीर हाइस्कूल में हुआ पावन प्रवास व प्रवचन
-जोगेश्वरीवासियों ने अपने आराध्य के समक्ष दी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति
02.12.2023, शनिवार, जोगेश्वरी, मुम्बई (महाराष्ट्र) : नन्दनवन से विहार कर भारत की आर्थिक राजधानी, मुम्बई के उपनगरों को अपने चरणरज से पावन बनाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शनिवार को प्रातः गोरेगांव पूर्वी के सेंट पायस एक्स कॉलेज से मंगल प्रस्थान किया। विहार मार्ग में कितने-कितने श्रद्धालुओं को अपने-अपने आवास अथवा प्रतिष्ठान आदि के निकट दर्शन करने और आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य की प्राप्त हुआ। इसके साथ मार्ग में आने वाले सभी जैन-अजैन लोगों पर आशीष वृष्टि करते हुए आचार्यश्री निरंतर गतिमान थे। अर्थ के लिए भागती जनता अध्यात्म का प्रकाश फैलाने वाले आचार्यश्री को अपलक निहार रही थी। जोगेश्वरीवासी अपने आराध्य के आगमन को लेकर बहुत उत्साहित नजर आ रहे थे। उत्साही श्रद्धालु विहार स्थान से ही अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन कर रहे थे। जन-जन पर अपने आशीष की वर्षा करते हुए आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ जोगेश्वरी में पधारे तो जोगेश्वरीवासी खुशी से झूम उठे। आचार्यश्री आज के प्रवास के लिए अरविंद गंडभीर हाईस्कूल में पधारे। हाईस्कूल परिसर में ही आयोजित मंगल प्रवचन में उपस्थित श्रद्धालु जनता को वर्तमान अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि पूज्य गुरुदेवश्री तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन चलाया। अणुव्रत का मूल तत्त्व संयम है। अणुव्रत का सूत्र भी है-संयमः खलु जीवनम्। संयम को ही जीवन बताया गया है। आदमी को अपने शरीर, वाणी और मन पर संयमित रखने का प्रयास करना चाहिए। शरीर से कोई अनावश्यक गतिविधि न हो, वाणी पूर्णतया संयमित हो और पांचों इन्द्रियों का सम्यक् उपयोग तो जीवन अच्छा बन सकता है। आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज जोगेश्वरी आना हुआ है। इस नगरी के साथ योग शब्द मानों जुड़ा हुआ है। योग एक आत्मकल्याण की साधना है। योग साधना, ध्यान और इन्द्रियों का संयम आत्मकल्याणकारी है। श्रीमद्भगवद्गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण कहा गया है। इससे ही योग शब्द भी बना है। योग शब्द काफी प्रचलित है। वर्तमान में कुछ वर्षों से योग दिवस भी आयोजित किया जा रहा है। इस ओर लोंगो का कुछ रुझान भी बढ़ा है। योग एक व्यापक तत्व है। योग से अपने जीवन को संयम से भावित बनाने का प्रयास किया जाता है। असंयम आत्मा और व्यवहार जगत दोनों के लिए घातक हो सकता है। योग साधना का जीवन में विकास होता रहे तो यह जीवन कल्याणकारी हो सकता है। अणुव्रत आन्दोलन में स्वयं पर स्वयं का अनुशासन रखने की प्रेरणा दी गई है। अणुव्रत के छोटे-छोटे संकल्पों को स्वीकार आदमी अपने जीवन को अच्छा बना सकता है। आचार्यश्री ने अणुव्रत गीत का आंशिक संगान भी किया। तेरापंथी सभा-जोगेश्वरी के अध्यक्ष श्री राकेश डागलिया व अरविंद गंडभीर हाईस्कूल के ट्रस्टी श्री मनोज फेडे ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। जोगेश्वरी ज्ञानशाला ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल व तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने पृथक्-पृथक् गीतों का संगान किया। कन्या मण्डल की सदस्यों ने आचार्यश्री को संकल्पों का उपहार भेंट किया। गुजराती सिरियल के अभिनेता श्री अमित सोनी भी आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।