




आचार्य श्री तुलसी का 110 वां जन्म दिवस अणुव्रत दिवस के रुप में मनाया गया
मानवता के मसीहा थे – आचार्य श्री तुलसी – मुनिश्री जिनेश कुमार जी
साउथ कोलकाता
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमारजी के सान्निध्य में तथा अणुव्रत समिति कलकत्ता व हावड़ा के तत्वावधान में आचार्य श्री तुलसी का 110 वां जन्मदिवस अणुव्रत दिवस के रूप में हर्सोल्लास के साथ तेरापंथ भवन में मनाया गया। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा आचार्य श्री तुलसी ने अपने कर्तृत्व, व्यक्तित्व व अणुव्रत आदि अवदानों के द्वारा स्वर्ग को धरती पर लाने का प्रयास किया। आचार्य श्री तुलसी भारतीय संस्कृति के अनमोल रत्न थे।वे मानवता के मसीहा, शांति के पैगम्बर व साधना के श्लाका पुरुष थे। वे धन्यात्मा बुद्धात्मा महात्मा व मुक्त होने वाली मुक्तात्मा थी। मुनि श्री ने आगे कहा उनका जन्म राजस्थान के नागोर जिले के लाडनूं शहर में हुआ मात्र बाईस वर्ष की उम्र में आचार्य श्री कालुगणी के सक्षम प्रभावशाली उत्तराधिकारी बने । वे विलक्षण प्रतिभा के धनी, सुझबुझ, दूरदर्शी व द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव के ज्ञाता थे। वे नियोजक थे। किस व्यक्ति को कहा नियोजित करना उनमे वह, विशेष कला थी। मुनिश्री ने आगे कहा- आठ आचार्यो की संपदा के घनी आचार्य श्री
तुलसी ने समाजोत्थान, रचनात्मक अनेक अवदान संघ व समाज को दिये। समण दीक्षां उनके मस्तिष्क की देन है। उन्होंने महिला जागरण, उन्होंने नया मोड़ शिक्षा, संस्कार आदि पर विशेष बल दिया। साधु साध्वियो को विशेष प्रशिक्षित किया। उनकी सन्निधि में आगम संपादन का विशेष कार्य किया। उन्होंने जैन धर्म को जन धर्म में ‘व्याख्यायित कर मानव समाज की अपूर्व सेवा की । वे साधना के सजग प्रहरी थे। उनमें कोमलता व कठोरता का संगम था। वे पुरातनता व आधुनिकता दोनों में सामंजस्य रखते थे। सभी लोग उस महापुरुष द्वारा बताये गए मार्ग पर चलेंगे तो उनका जन्म दिवस मनाना सार्थक होगा। इस अवसर पर मुनिश्री परमानंद ने कहा- आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का शुभारंभ कर भारत के नागरिकों’ के चरित्र को ऊँचा उठाने का महान प्रयत्न किया। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर अणुव्रत समिति कलकता के अध्यक्ष प्रदीप सिंधी, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा कलकत्ता के अध्यक्ष अजय भंसाली ने विचार व्यक्त किये मंगलाचरण अणुव्रत समिति के कार्यकर्ताओं ने व गीत संगान श्रीमती उषा बरडिया ने किया। आभार ज्ञापन अणुव्रत समिति के मंत्री नवीन दुगड़ ने व संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया।




