





🌸 जीवन में रहे निष्पक्षता – आचार्य महाश्रमण🌸
- सुप्रसिद्ध अभिनेता जैकी श्रॉफ पहुंचे शांतिदूत के दर्शनार्थ
- श्रीमद् जयाचार्य के जन दिवस के साथ रहा हाजरी वाचन का क्रम
27.10.2023, शुक्रवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)
सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति के त्रिआयामी उद्देश्य के साथ हजारों किलोमीटर की पदयात्रा कर लाखों लोगों के जीवन को सही दिशा देने वाले युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के पावन चातुर्मास से नंदनवन परिसर दिव्य छटा बिखेर रहा है। पांच मासिक चातुर्मास का अब लगभग एक माह ही शेष है। किंतु प्रतिदिन निरंतर अविरल रूप से श्रद्धालुओं का आवागमन गुरु दर्शनार्थ जारी है। आचार्यश्री की सन्निधि में आज अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन का आगाज हुआ। इस मौके पर सुप्रसिद्ध अभिनेता श्री जैकी श्रॉफ ने शांतिदूत की सन्निधि में पहुंच पावन आर्शीवाद प्राप्त किया।
आज के कार्यक्रम में तेरापंथ के चतुर्थ आचार्य श्रीमद् जयाचार्य का 221वां जन्मदिवस मनाया गया। चतुर्दशी के संदर्भ में हाजरी वाचन का भी क्रम रहा। गुरुदेव ने मर्यादा पत्र की वाचना कर सभी को मर्यादाओं की स्मारना कराई।
मंगल देशना में आचार्य श्री ने बताया कि भगवती सूत्र में गौतम ने भगवान महावीर ने प्रश्न किया कि देवानुप्रिय का यह तीर्थ कब तक चलेगा। भगवान महावीर ने उत्तर दिया- मेरा यह तीर्थ इक्कीस हजार वर्ष तक चलेगा। अर्थात इस पंचम अर की सम्पन्नता तक यह तीर्थ रहेगा। तीर्थ का एक मतलब होता है साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका। तो क्या सब उस समय तक रहेंगे ? शुद्ध साधु-साध्वी कितने रहेंगे यह तो नहीं कहा जा सकता है पर आगम वाणी व महावीर वाणी व जैन शासन इक्कीस हजार वर्ष तक चलेंगे यह कहा जा सकता है। ज्ञान के ग्रहण में निष्पक्षता रहनी चाहिए। किसी प्रकार का कोई पूर्वाग्रह नहीं हो। जो आग्रही होता है वह युक्ति को अपने पक्ष में ले जाने की चेष्टा करता है। हमारे जीवन में निष्पक्षता व मध्यस्तता रहे। सच्चाई के साक्षात्कार के लिए सच्चाई का अनुसरण होना चाहिए।
गुरुदेव ने आगे कहा कि आज जयचार्य का जन्मदिवस है। वें मानों तेरापंथ धर्मसंघ महाग्रंथ के द्वितीय संस्करण थे। आचार्य श्री भिक्षु और उनमें कई बातों में साम्यता देखी जा सकती है। दोनों ही आगमों के विद्वान थे और महान साहित्यकार भी थे। जयाचार्य ने विशाल साहित्य की रचना की। वे एक तत्व वेत्ता और ज्ञानमूर्ति आचार्य थे। उन्होंने अपने जीवन में विशेष साधना की। हमारा सौभाग्य है जो ऐसे आचार्य हमें प्राप्त हुए। आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ का तो हमें साक्षात सन्निधि का मौका मिला।
तत्पश्चात आचार्य श्री ने मर्यादा पत्र का वाचन किया। साध्वीवर्या संबुद्धयशा जी ने उद्बोधन प्रदान किया। मुनि श्री अनुशासन कुमार, मुनि श्री मेधावी कुमार, मुनि श्री देव ने लेख पत्र की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में राजनेता डॉ संजीव नाईक ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी।




