🌸 निर्जरा और संवर की करे साधना – आचार्य महाश्रमण🌸
- पुज्यवर ने किया कर्म भूमियों का विवेचन
- अभातेयुप द्वारा सम्मान समारोह आयोजित
26.10.2023, गुरुवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)
जन जन की आस्था के केंद्र संत शिरोमणि युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में नंदनवन चातुर्मास सानंद रूप से गतिमान है। आचार्यश्री की द्वारा आगम वाणी का श्रवण कर श्रावक–श्राविकाएं ज्ञान, दर्शन, तप की आराधना कर रहे है। रात्रिकालीन मुख्यमुनि श्री महावीर द्वारा कर्णप्रीय रामायण का वाचन श्रोताओं को इतिहास की गहराइयों से रोमांचक रूप से परिचित करा रहा है। आज गुरुदेव के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया।
मंगल देशना में आचार्यश्री ने कहा– इस लोक में पंद्रह कर्म भूमियाँ बताई गई है – पांच भरत, पांच एरावत व पांच महाविदेह। जिस जगह वर्तमान में हम है यह भरत क्षेत्र है। इसी प्रकार इसमें धातकी क्षेत्र आदि द्वीप भी हैं। इसे कर्म भूमि इसलिए कहा जाता है कि यहां शुभ व अशुभ दोनों प्रकार के कर्मों का उपार्जन व अर्जन होता है। अन्य भूमियों वालों के भी कर्म बंध होता है पर उतना विशेष व सघन नहीं। पाप कर्म में यह सातवीं नरक व पुण्य कर्म में सर्वार्थ सिद्ध तक का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें पाप और पुण्य का उत्कृष्ट रूप है। महाविदेह क्षेत्र ऐसा है, जिसमें हमेशा तीर्थंकर होते हैं। कम से कम बीस व अधिकतम एक सौ सत्तर तीर्थंकर हो सकते है। जबकि भरत क्षेत्र में अवसर्पिणी व उत्सर्पिणी काल में चौबीस तीर्थंकर प्रत्येक काल में होते हैं।
गुरुदेव ने आगे कहा कि व्यक्ति यह चिंतन करे की मुझे यह जन्म प्राप्त हुआ है। यह मनुष्य जीवन का सुअवसर मिला है ऐसे में पुण्यार्जन की जगह हमें धर्मार्जन का प्रयास करना चाहिए। यहाँ हमें सोचना है कि मैं निर्जरा व संवर की साधना करूं व पापों में लिप्त न बनूं। हमारा लक्ष्य देवगति प्राप्त करना न होकर मोक्ष गति को प्राप्त करना होना चाहिए। जब आत्मा सभी कर्मों से मुक्त हो जाती है तब वह सिद्धि गति मोक्ष को प्राप्त कर लेती है।
सम्मान समारोह में अभातेयुप द्वारा वर्ष 2023 के “युवागौरव” अलंकरण से श्री भरत मरलेचा, चेन्नई एवं “आचार्य महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरस्कार” से डॉ. धवल दोशी, अहमदाबाद को सम्मानित किया गया। अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंकज डागा ने श्रीचरणों में कृतज्ञता प्रेषित करते हुए अपनी अभिव्यक्ति दी। सम्मान पत्र का वाचन अभातेयुप के उपाध्यक्ष श्री रमेश डागा एवं श्री जयेश मेहता ने किया । युवागौरव श्री भरत मरलेचा एवं आचार्य महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरस्कार से सम्मानित डॉ. धवल दोशी ने भी अपने विचार रखे। मंचीय कार्यक्रम का संचालन अभातेयुप के महामंत्री श्री पवन मंडोत ने किया।