दीक्षार्थियो का करोडो की संपति नौकरी छोड़कर, वैराग्य लेने की दास्ताँ उनकी जुबानी
मीडिया प्रभारी वरदान जैन के साथ विशेष चर्चा मे दीक्षार्थियो ने दीक्षा और वैराग्य के कारण के बारे मे विस्तार से बताया।
सिद्धम भैया जो कि रूर मध्य प्रदेश से हैं और आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सांसारिक भतीजे है,उन्होंने बताया कि आचार्य श्री का 2019 मे भिंड मे चतुर्मास था।मैंने 7 साल बाद दिगंबर मुनियों के दर्शन किये थे।दर्शन के बाद मैंने रात्रि भोजन और बाजार की वस्तुओ का तभी त्याग कर दिया था।उसी दरम्यान मेरे मित्र की एक्सिडेंट मे मृत्यु हो गयी तथा कुछ समय बाद पंडित जी की बेटी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।दोनो घटनाओ का मुझ पर विशेष प्रभाव पड़ा। संसार से विरक्ति हो गयी।मुझे महसूस हुआ कि मृत्यु का कोई भरोसा नही है, इसलिए सदैव समाधि मे साधु बनकर अपने मानव जीवन को सफल बनाना चाहिए।
विपुल भैया भिंड ने बताया कि उन्हे आचार्य श्री की चर्या ने 2019 के भिंड चातुर्मास मे विशेष प्रभावित किया। नवंबर 19 मे मुनि श्री यशोधर सागर जी महाराज की गोद भराई के समय उन्होंने दीक्षा का संकल्प लिया और माता पिता की सहमति से आचार्य श्री के चरणो मे पहुचें।
हिमांशु भैया भिंड ने बताया कि जब मैंने आचार्य श्री का 2019 मे मुक्तागिरि से भिंड के लिए विहार कराया, तभी मैं उनके उपदेश और प्रवचन से विशेष प्रभावित हुआ। मेरा घर पर मन नही लगा।और मैंने परिवार की सहमति से गुरु चरण मे मन लगा लिया।
अंकुर भैया छतरपुर ने बताया कि आचार्य श्री का 3 दिन का प्रवास, छतरपुर मे 2009 मे हुआ था, मैं तभी से उनसे प्रभावित था। 2013 मे उनके उपदेशो और चर्या से प्रभावित होकर मैं तभी से गुरु की शरण मे हूँ।
हार्दिक भैया इंदौर भी 2017 के इंदौर चातुर्मास के दौरान आचार्य श्री के संपर्क मे आये और उनके उपदेश और चर्या से विशेष प्रभावित हुए।
इसी प्रकार राजेश भैया, विपुल भैया, तन्मय भैया ने भी बताया कि उन्होंने भी आचार्य श्री के उपदेशो से प्रभावित होकर और जीवन की नश्वरता को समझकर वैराग्य धारण किया। और 25 अक्टूबर मे सभी 8 दीक्षार्थियो के साथ दिगंबर दीक्षा धारण करके अपने मनुष्य जीवन को सार्थक करेंगे।
वरदान जैन मीडिया प्रभारी