🌸 गुणात्मक आभूषणों को करे धारण – आचार्य महाश्रमण🌸
- चंचलता को कम कर स्थिरता के लिए गुरुदेव ने किया प्रेरित
- 48 वें राष्ट्रीय महिला अधिवेशन का मंचीय समारोह आयोजित
- महिला मंडल द्वारा पुरस्कार सम्मान समारोह
09.10.2023, सोमवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)
नैतिकता, सद्भावना एवं नशामुक्ति के त्रिआयामी अभियान के साथ अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी का मुंबई में चतुर्मासिक प्रवास सानंद प्रवर्धमान है। आचार्य श्री के दर्शनार्थ देश के कोने–कोने से हजारों श्रद्धालुओं का निरंतर आवागमन चल रहा है। नंदनवन परिसर में श्रद्धालुओं की विराट उपस्थिति से गुरुभक्ति का अनूठा दृश्य दिखाई दे रहा है। प्रतिदिन के प्रवचन के क्रम में आचार्यश्री की भगवती आगम आधारित व्याख्या श्रोताओं के ज्ञान की अभिवृद्धि कर रही है। आज आचार्य श्री के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा 48वें राष्ट्रीय महिला अधिवेशन “क्षितिज” के मंचीय कार्यक्रम का समायोजन हुआ। जिसमें कार्यकाल के लिए नवगठित कार्यकारिणी ने शपथ स्वीकार की। पुरस्कार सम्मान समारोह भी आयोजित हुआ जिसमें अपने योगदान के लिए कई श्राविकाओं को सम्मानित किया गया। समारोह में साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी एवं साध्वीवर्या संबुद्धयशा जी ने सारगर्भित उद्बोधन प्रदान किया।
मंगल प्रवचन में गुरुदेव ने कहा जीवन में शरीर, इन्द्रियां व योग मूलक प्रवृत्तियां होती है। शरीर के साथ हमारी पांच इन्द्रियां है जो दैनिक कार्यों में उपयोगी बनती है। और योग अर्थात मन, वचन, काया की प्रवृतियाँ। आत्मा शरीर का मूल तत्व है जिसके साथ ये सभी चीजें जुड़ी हुई है। इन सबके साथ चंचलता भी होती है। चंचलता एक दृष्टि से उपयोगी भी है किंतु एक सीमा तक। चंचलता के साथ स्थिरता जरूरी है। ध्यान, साधना के विकास के लिए स्थिरता व शिथिलता होगी थी सफलता मिल सकेगी।
गुरुदेव ने आगे कहा कि यह शरीर कितना सुंदर है, चेहरा कितना सुंदर है इसका उतना महत्व नहीं जितना महत्व कार्य सक्षमता व शरीर की स्वस्थता का होता है। व्यक्ति शरीर को सुंदर दिखाने के लिए कार्य करता है। आभूषण आदि भी धारण किए जाते है। किंतु यह बाहरी आभूषण तो एक प्रकार के भार है। शरीर की उपयोगिता तब है जब इससे स्व कल्याण व पर कल्याण की दिशा में आगे बढ़ा जाए। सदाचार रूपी गुणात्मक अलंकार व्यक्ति के जीवन में आए यह आवश्यक है।
महिला मंडल के संदर्भ में आचार्य प्रवर ने फरमाया कि अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल तेरापंथ समाज का अच्छा संगठन है, एक सशक्त महिला संगठन है। जगह जगह श्राविका समाज इससे जुड़ा हुआ है और साधु–साध्वियों की सेवा कार्य में भी योगदान रहता है। इसके निमित्त से कितनी श्राविकाओं को विकास का अवसर प्राप्त होता है। नव अध्यक्ष और अधिक धार्मिक आध्यात्मिक गतिविधियां बढ़ाने में अपना योगदान देते रहे।
तत्पश्चात अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की निवर्तमान अध्यक्षा श्रीमती नीलम सेठिया, नव मनोनित अध्यक्षा श्रीमती सरिता डागा ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी।
पुरस्कार सम्मान समारोह
पुरस्कार सम्मान के क्रम में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा श्रीमती भंवरी देवी भंसाली को ‘श्राविका गौरव’, राजस्थान उच्च न्यायालय की न्यायाधिपति श्रीमती शुभा मेहता को ‘सीतादेवी सरावगी पुरस्कार’ एवं IAS श्रीमती जयश्री भूरा को गुरुदेव की सन्निधि में प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किया गया।
मासखमण प्रताख्यान
इस अवसर पर श्रीमती सुमित्रादेवी तोलाराम बडाला (विलेपार्ले), श्रीमती सलोनी अभिषेक डागलिया (वाशी) ने 28 दिन मासखमण की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।