

जयाचार्य निर्वाण दिवस मनाया
जयाचार्य समाजवाद के सुत्रधार थे मुनिश्री जिनेश कुमार जी
साउथ कोलकाता
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में प्रज्ञापुरुष जयाचार्य निर्वाण दिवस तेरापंथ भवन में मनाया गया। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा- जैन धर्म के प्रभावक आचार्यों में एक स्वर्णिम नाम है- आचार्य श्री जीतमल जी। आचार्य श्री जीतमल जी तेरापंथ धर्म संघ के चतुर्थ आचार्य थे वे स्थिर योगी व विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। वे विधिवेत्ता, तत्ववेत्ता,आत्म वेत्ता थे वे जन्मजात साहित्यकार थे। उन्होंने ने अपनी सशक्त लेखनी से साढे तीन लाख पद्यो की संरचना करके नया कीर्तिमान स्थापित किया और तेरापंथ साहित्य भंडार को भरा। वे पापभीरू दीर्घपाद विहारी व सूझबुझ के धनी थे। वे तेजस्वी महापुरुष थे। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ की व्यवस्थाओं आदि में आमूल चूल परिवर्तन किया। वे तेरापंथ धर्म संघ के अधिनायक ही नहीं समाजवाद के सूत्रधार थे। मर्यादा महोत्सव, पट्टोत्सव चरमोत्सव मनाने का शुभारंभ उनके द्वारा हुआ। मुनिश्री ने आगे कहा- उनका जन्म राजस्थान के रोयट ग्राम में हुआ मात्र 9 वर्ष की उम्र में जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की। मुनिश्री हेमराज जी के सान्निधि में जैन आगमों का तल स्पर्शी अध्ययन किया। हेमराज जी स्वामी उनके विधा गुरु थे। आचार्यों के प्रति अन्यन्य समर्पण था। वे अनुशासन प्रिय थे। वे आचार निष्ठा थे। उनका जीवन सर्वतोमुखी था। मुनिश्री ने आगे कहा वे आचार्य भिक्षु के भाष्यकार थे। उनका चिन्तन दर्शन बेजोड़ था। उनकी प्रज्ञा प्रकाश पुंज थी उनके विचारों में निर्मलता थी जिनके कारण वे प्रज्ञा पुरुष कहलाए । जयपुर में भाडवव्दी बारस के दिन उनका निर्वाण हुआ। मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने गीत का संगान व तरुण सेठिया ने कविता प्रस्तुत की।






