




मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन
तप से चेतना में होता है प्रकाश – मुनिश्री जिनेश कुमार जी
साउथ कोलकाता
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में सुजानी देवी पगारिया के मासखमण तप के अवसर पर मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन साउथ कोलकाता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ भवन में किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा ‘जैन धर्म आध्यात्मिक व वैज्ञानिक धर्म है। इस युग के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभ हुए है और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर हुए हैं । भगवान महावीर ने आत्मशुद्धि, आत्माराधना, चैतन्य जागरण के लिए अनेक उपाय बताए हैं। उनमें एक महत्त्व पूर्ण उपाय है तप । तप जीवन को संतुलित रखता है। तप मंगल है। क्योंकि तप शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा चारों को मंगलमय बनाता है। तप से विजातीय तत्त्व बाहर निकलते है। शरीर रोग मुक्त होता है। मन, बुद्धि और आत्मा का विकास होता है और कर्मो का शोधन होता है ।कर्म शरीर को तपा ने वाला अनुष्ठान है तप। कर्म क्षय का असाधारण हेतु है। तपस्वियों का स्वागत त्याग से होता है। तप करना, तप करवाना तप का समर्थन करना भी धर्म है। मुनिश्री ने आगे कहा तप से भीतरी चेतना में प्रकाश होता है। उपसर्ग व उपद्रव दूर होते है। वास्तव में तप वही है जो अर्हत् प्रवचन के अनुकूल है। और वही उपादेय है। सुजानी देवी ने 80 वर्ष की उम्र में मासखमण की तपस्या कर अद्भूत साहस का परिचय दिया है ।सभी तपस्वियों के प्रति मंगलकामना
कार्यक्रम का शुभारंभ बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी के मंगलाचरण से हुआ। साउथ कोलकाता तेरापंथी सभा के अध्यक्ष विनोद जी चोरडिया ने अभिनंदन पत्र का वाचन करते हुए तप अनुमोदना में विचार व्यक्त किये। साध्वी प्रमुख श्री विश्रुतविभा जी के संदेश का वाचन तेरापंथी सभा के मंत्री कमल जी सेठिया ने लिया। कोलकाता सभा के अध्यक्ष अजय जी भंसाली, व प्रवीण जी पगारिया ने तप अनुमोदना में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद ने किया। तपस्वी बहिन सुजानी देवी पगारिया का साउथ कोलकाता सभा द्वारा मोमेंटो अभिनंदन पत्र, संदेश पत्र द्वारा सम्मान किया गया।




