अनुराग मोहन, जिला संवाददाता बागपत, Key Line Times
प्रवचन 02-8-2023
पापों से बचो, आत्म रक्षा करो- आचार्य विशुद्ध सागर
चर्या शिरोमणि जैन आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने ऋषभ सभागार मे दिगंबर जैन समाज समिति द्वारा आयोजित धर्मसभा में सम्बोधन करते हुए कहा कि – सज्जनों का जो मार्ग है वह शांति का मार्ग है। चिंता, क्रोध कलह, ईर्ष्या करना सज्जनों का स्वभाव नहीं है। सज्जन दृढ धर्मी, प्रियधर्मी होते हैं। । वह हमेशा अपने धर्म में संकल्पबद्ध रहते हैं, जंगल में भी अपने व्रतों का पालन करते हैं। सज्जन ऐसा कोई भी कार्य नहीं करते जिससे धर्म या धर्मात्मा का अहित हो। सज्जन स्वभाव से ही सरल, शांत, नम्र, प्रज्ञावंत और क्षमाशील ही होते हैं।
साधक जितना अधिक जन-जन से सम्पर्क करेगा, संवाद करेगा, उतना ही निज की साधना से दूर होता जाएगा। संवाद से चित्त चंचल होता है और चित्त चंचल होते ही चारित्र से च्युत हो जाता है। चित्र चित को चंचल करते हैं, इसलिए आत्म-साधक को जगत् के सर्व-प्रपंचों से दूर होकर स्वात्मा की ओर दृष्टिपात करना चाहिए। आत्ममुखी दृष्टि ही ध्यान लीनता में सहायक है।
साधना के मार्ग पर आकर जो कुमार्ग की पुष्टि करता है, व्रत भंग करता है, व्रत के विपरीत आचरण करता है, भेष के विरुद्ध कार्य करता है, वह धर्म एवं संस्कृति का नाश करता है। जो साधक दृढ़ता के साथ व्रताचरण करता है, उसके उपदेश भी प्रभावी होते हैं। वही धर्म का उद्योतन कर सकता है।
एक पाप को छुपाने के लिए व्यक्ति अनेक-पाप करता है, परन्तु जैसे रुई में रखी अग्नि छिपती नहीं है उसी प्रकार पापोदय होने पर पाप भी प्रकट हो जाता है। पाप का फल दुःखद ही होता है। पापों से बचो, आत्म रक्षा करो।
ध्यान करने के लिए परिग्रह छोड़ना पड़ेगा, पाप प्रवृत्ति से दूर रहना पड़ेगा, नर-नारियों के संसर्ग से शून्य होना होगा, निसंग निर्द्वन्द्व, निर्ग्रन्थ बनना होगा। मुक्ति प्राप्त करना है तो वीतरागी बनो। ‘जगत् के प्रपंचों को देखो, जानो, जाने दो, परन्तु उनमें जाओ मत। एक शुद्ध-बुद्ध, परमात्म-स्वरूप भगवत्-आत्मा ही ध्याने योग्य है।सभा का संचालन डॉक्टर श्रेयांस जैन ने किया
सभा मे प्रवीण जैन, अतुल जैन, सुनील जैन,विनोद जैन, वरदान जैन, राकेश सभासद,दिनेश जैन, राकेश सभासद, जय प्रकाश जैन, अशोक जैन, अमित जैन, शुभम जैन, मनोज जैन आदि थे।
वरदान जैन
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