कनक पारख की रक्षाबंधन के अवसर पर अनुपम कृति “आया धागों का त्यौहार”……सुरेन्द्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times सजे हैं धागे रंग -बिरंगे उठ रही मन में प्रेम तरंगे गली-मोहल्ले ,हाट , बाजार आया धागों का त्यौंहार । सावन की पूनम शुभ आई भाई की सजी है कलाई देख बहना का प्यार आया धागों का त्यौंहार । अक्षत, कुमकुम तिलक लगाऊं हाथ कलाई राखी सजाऊं नेह-तार, बांधे संसार आया धागों का त्यौंहार । जन्म -जन्म का गहरा नाता प्रेम -बन्ध है सबको भाता अंतर्मन भ्रात-मनुहार आया धागों का त्यौंहार । रक्षा कवच भैया का वादा निर्मल, निश्चल प्रेम है सादा दहलीज करे, पल-पल इंतजार आया धागों का त्यौंहार । रिश्ता है अनमोल अनुराग जैसे झूमे मधुप-पराग भैया -भाभी का अनुपम उपहार आया धागों का त्यौंहार । शुभ भविष्य का थाल सजाऊं जन्म -जन्म का साथ निभाऊं भगिनी करे पुकार आया धागों का त्यौंहार । बंधा है रिश्ता रेशम डोर पलके भीगी, भगिनी कोर खुले हैं बहना, दिल के द्वार आया धागों का त्यौंहार । कनक पारख विशाखापट्टनम