🌸 *सहिष्णुता से होती है कर्म निर्जरा : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण* 🌸
*-पिंपलनेर पूज्यचरणों से बना पावन, मेघ के साथ गुरुकृपा की वर्षा में अभिस्नात हुए पिंपलनेरवासी*
*-पिंपलनेर से प्रस्थान, 12 कि.मी. का विहार कर मैदाणे में पधारे महातपस्वी महाश्रमण*
*-श्यामाप्रसाद मुखर्जी माध्यमिक विद्यालय में पधारे ज्योतिचरण*
*02.07.2024, मंगलवार, मैदाणे, धुळे (महाराष्ट्र) :*
निर्धारित यात्रापथ में परिवर्तन के साथ लगभग 35-40 किलोमीटर की अतिरिक्त पदयात्रा करते सोमवार को सायं जब जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी सामोडे से पिंपलनेर की धरा पर पधारे तो पिंपलनेर का जन-जन हर्षविभोर हो उठा। मेघ की वर्षा के साथ ही गुरुकृपा की बरसात में पिंपलनेर का हर मन मयूर श्रद्धाभावों के साथ नृत्य कर रहा था। अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ सामोडे से पिंपलनेर के नवनीर्मित तेरापंथ भवन में पधारे। जहां आचार्यश्री के मंगलपाठ से इस नवीन भवन का लोकार्पण कार्यक्रम भी हो गया। इतना ही नहीं, वर्षों की प्रतीक्षा के उपरान्त पिंपलनेरवासियों पर विशेष कृपा करते हुए आचार्यश्री स्वयं रात्रिकालीन कार्यक्रम में पधारे और पावन पाथेय भी प्रदान किया।
मानसून की सक्रियता के कारण पूरे दिन आसमान में भ्रमणशील बादल यदा-कदा तीव्र तो कभी मंद वर्षा भी कर रहे हैं। जिससे पूरे वातावरण में शीतलता व्याप्त हो गई है। मंगलवार को भी यह क्रम प्रायः जारी रहा। सुबह की मंगल बेला में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पिंपलनेर से मंगल प्रस्थान किया। पिंपलनेरवासी पूज्यचरणों में अपनी कोटि-कोटि कृतज्ञता अर्पित कर रहे थे। उनकी प्रणत भावनाएं उनकी मुखाकृति पर देख जा सकती थीं। सभी पर आशीष की वर्षा करते हुए अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी अगले गंतव्य की ओर बढ़ चले। अब धीरे-धीरे आचार्यश्री गुजरात की सीमा की ओर पधार रहे हैं। साथ वर्ष 2024 का सूरत चतुर्मास प्रवेश का अवसर भी निकट ही है। इस कारण सूरतवासियों की उपस्थिति भी बढ़ती जा रही है। आरोह-अवरोह व कुछ कींचड़ व टूटे-फूटे मार्ग के दोनों खेतों में फसलों की हरितिमा दृष्टिगोचर हो रही थी। लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री मैदाणे में स्थित श्यामाप्रसाद मुखर्जी माध्यमिक विद्यालय में पधारे।
विद्यालय परिसर में उपस्थित श्रद्धालु जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि चार प्रकार की शक्ति बताई गई हैं- श्रवणशक्ति, दर्शनशक्ति, समझशक्ति तथा सहनशक्ति अर्थात् सहिष्णुता। सहिष्णुता एक विशेष गुण है। श्रवणशक्ति के माध्यम से आदमी सुन लेता है, दर्शनशक्ति के माध्यम से आदमी देख लेता है। समझशक्ति से आदमी किसी चीज को अच्छी तरह समझ लेता है तथा सहनशक्ति अर्थात सहिष्णुता होती है तो आदमी शांति में रह सकता है और मानसिक दुःख से स्वयं का बचाव कर सकता है।
जीवन में अनुकूल व प्रतिकूल परिस्थितियां आती रहती हैं। सामूहिक जीवन तो मानों जीवन के अनेक कष्टों से भरा हुआ है। जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट अथवा प्रतिकूल स्थितियां भी बन सकती हैं। इसलिए आदमी को अपने भीतर सहिष्णुता के विकास का प्रयास करना चाहिए। जीवन में किसी भी प्रकार की प्रतिकूलता आए, कष्ट आए, आदमी समता और शांति से उसे सहन करे तो उसकी कर्म निर्जरा भी हो सकती है। आदमी सामूहिक जीवन जीते हुए भी अकेलेपन का अनुभव का करे। इससे आदमी की मानसिक शांति बनी रह सकती है। आचार्यश्री ने विद्यालय परिवार को पावन आशीर्वाद प्रदान किया।
आचार्यश्री के स्वागत में विद्यालय के मुख्याध्यापक श्री राजेन्द्र क्षीरसागर ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। सूरत तेरापंथ महिला मण्डल ने गीत का संगान किया।