नई दिल्ली। आचार्य श्री महाश्रमणजी की प्रबुद्ध शिष्य डॉ, साध्वी कुन्दन रेखा जी के सान्निध्य में आईटीओ दिल्ली स्थित अणुव्रत भवन में आज
*विभिन्न धर्मों में अनेकांतवाद धारणा* विषय पर विचार हेतु श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा व इंस्टीट्यूट आफ हार्मनी एंड पीस स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें सभी धर्मों के प्रतिनिधि के रुप में विद्वान शामिल हुए। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा दिल्ली के अध्यक्ष क्षी सुखराज सेठिया और मंत्री श्री प्रमोद घोड़ावत ने सभी अतिथियों का पटका पहनाकर स्वागत किया।साध्वी डॉ कुंदन रेखा जी ने अनेकांतवाद पर अपने उद्बोधन में कहा- भगवान् महावीर स्वामी ने हमें अनेकान्तवाद का सिद्धांत दिया। सभी गुणों का सांमजस्य ही अनेकान्तवाद है। अनेक धर्मों को समझने के लिए हमें आग्रह को छोङना होगा। अनेकान्तवाद से ही स्याद्वाद निकला और स्याद्वाद ही अनेकान्तवाद को प्रकट करने का माध्यम है। मानवीय मूल्यों को स्थापित करने में अनेकान्तवाद की महत्वपूर्ण भूमिका है । उपस्थित सभी धर्मों के प्रतिनिधि यों ने आज के विषय पर ने अपने अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किए। इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मोनी एंड पीस स्टडीज के चेयरमैन एमडी थामस ने सभी धर्म प्रतिनिधियों द्बारा प्रस्तुत विचारों व सुझावों को समाहित करते हुए कहा- सभी धर्म,वर्ग, जाति, व पंथ में अनेक बातें व कार्य एक समान है कॉमन है जिस पर सभी को मिलकर एकजुट होकर काम करने की जरूरत है। डा थामस ने कहा, मनुष्य के लिए इंसानियत धर्म ही श्रेष्ठ धर्म है। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा केbn उपाध्यक्ष श्री बाबूलाल दुगड़ ने संगोष्ठी में उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया और कहा- इस प्रकार के विचारों की गोष्ठियां
समय समय पर आयोजित हो।
आज की संगोष्ठी में जैन, सनातन इस्लाम, क्रिश्चियन, आर्यसमाज के प्रतिनिधिओं के अलावा अनेक बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।