*🌸 महातपस्वी महाश्रमण का महाराष्ट्र स्तरीय मंगलभावना समारोह : उमड़े महाराष्ट्रवासी 🌸**-साधिक 13 माह की यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के कोने–कोने को किया ज्योतिचरण ने पावन ***- महाराष्ट्र में होता रहे धर्मोदय : मानवता के मसीहा महाश्रमण **- *मंगलभावना समारोह के साथ साक्रीवासियों ने अपने आराध्य का किया अभिनंदन***-मित्तल कांकरिया, साक्री को मुमुक्षु रूप में साधना करने को आचार्यश्री ने दी अनुमति**30.06.2024, रविवार, साक्री, धुळे (महाराष्ट्र) : **28 मई 2023 को महाराष्ट्र के घोलवड़ में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, मानवता के मसीहा, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना के साथ मंगल प्रवेश किया था। तब से महाराष्ट्र की धरा ने मानवता के मसीहा के चरणों को इस तरह से पकड़ा कि तेरह महीने से भी अधिक समय तक लिपटी रही और जब तक महाराष्ट्र का कोना-कोना ज्योतिचरण की चरणरज से चमक नहीं गया, तब तक छोड़ा ही नहीं। राष्ट्रसंत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भी महाराष्ट्र की विस्तारित यात्रा के दौरान मायानगरी में पंचमासिक चतुर्मास, मुम्बई उपनगरीय यात्रा-प्रवास, 2024 का मर्यादा महोत्सव करने के उपरान्त कोंकण,, पश्चिम महाराष्ट्र, विदर्भ, मराठवाड़ा के खानदेश के श्रद्धालुओं पर इतनी कृपा बरसाई कि महाराष्ट्र की जनता वर्षों तक कृतार्थता का अनुभव करती रहेगी।साधिक 13 महीने की यात्रा के उपरान्त महाराष्ट्र के खानदेश क्षेत्र के साक्री में रविवार को राजे मंगल कार्यालय परिसर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के अधिशास्ता का महाराष्ट्र स्तरीय मंगलभावना समारोह समायोजित हुआ। वहीं साक्रीवासी इस सौभाग्य को प्राप्त कर हर्षविभोर थे। वे एक ओर अपने आराध्य के आगमन व स्वागत हेतु उत्साहित नजर आ रहे थे तो दूसरी ओर महाराष्ट्र स्तरीय मंगलभावना समारोह भी अपने नगर में प्राप्त कर उत्फुल्ल बने हुए थे।अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने साक्री पर कृपा बरसाते हुए शनिवार को सायंकाल ही साक्री में पावन प्रवेश कर लिया। रविवार को प्रातः साक्री में मानूसन का असर बना हुआ था। जिस प्रकार आसमान में बादल उमड़ रहे थे, उसी प्रकार साक्री में महाराष्ट्र के कोने-कोने से श्रद्धालु उमड़ रहे थे। निर्धारित समय से पूर्व ही राजे मंगल कार्यालय श्रद्धालुओं की उपस्थिति से जनाकीर्ण बना हुआ था। निर्धारित समय पर ‘महाश्रमण मंगल समवसरण’ के मंच पर तेरापंथ धर्मसंघ के देदीप्यमान महासूर्य महाश्रमणजी मानों उदियमान हुए तो जयघोष से पूरा वातावरण महाश्रमणमय बन गया।युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के भीतर अनेक वृत्तियां होती हैं। एक सामान्य आदमी में राग-द्वेष के भाव भी उभर सकते हैं। मनोज्ञ स्थिति में राग का भाव और अमनोज्ञ अथवा प्रतिकूल स्थिति में द्वेष का भाव उत्पन्न हो सकता है। जो मध्यस्थ रहने का अभ्यासी होता है, जो राग-द्वेष दोनों ही परिस्थितियों में मध्यस्थ होता है। चार अनुप्रेक्षाएं बताई गई हैं- मैत्री, प्रमोद, कारुण्य और माध्यस्थ।सभी प्राणियों के प्रति मैत्री की भावना हो। सभी प्राणियों के प्रति मैत्री की भावना रखना बहुत ऊंची बात होती है। मैत्री की भावना से आत्मा सुवासित हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए। आदमी को प्रमोद भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। इससे आत्मा निर्मल रह सकती है। इसी प्रकार करुणा की भावना भी आदमी के भीतर रहनी चाहिए। अनुकूल अथवा प्रतिकूल परिस्थितियों में मध्यस्थ भावना रखने का प्रयास करना चाहिए। इन चारों भावनाओं के द्वारा आदमी को अपनी आत्मा को शुद्ध-विशुद्ध बनाने का प्रयास करना चाहिए।आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन के उपरान्त सर्वप्रथम साक्रीवासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि साक्री में कल अर्थात् विफोर आ गए थे। यहां के लोगों में भक्ति की भावना पुष्ट होती रहे। तदुपरान्त आचार्यश्री ने महाराष्ट्र स्तरीय मंगलभावना समारोह के संदर्भ में मंगल पाथेय पदान करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में साधिक तेरह महीने का प्रवास व भ्रमण का कार्यक्रम रहा। महाराष्ट्र का प्रवास अब सम्पन्नता के निकट है। पूरे महाराष्ट्र में सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की चेतना बनी रहे। महाराष्ट्र में अच्छा धर्मोदय होता रहे।मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उपस्थित जनमेदिनी को पावन प्रतिबोध प्रदान किया। साक्रीवासियों ने आचार्यश्री के स्वागत में समारोह में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। स्वागत समारोह में साक्री तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री अनिल कांकरिया, स्थानकवासी श्रीसंघ के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र संचेती ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। संसारपक्ष में साध्वी ऋजुप्रभाजी की बहन सुश्री मित्तल कांकरिया ने स्वयं को श्रीचरणों में समर्पित होने की भावना अभिव्यक्त की तो आचार्यश्री ने कृपा बरसाते हुए मुमुक्षु रूप में साधना करने की अनुमति प्रदान कर दी। गुरु की ऐसी कृपा को देख जनता जयघोष कर उठी। तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद, बहनें व भुआ व तेरापंथ कन्या मण्डल ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्र्रस्तुति दी। आरएसएस की ओर से स्थानीय तालुका बौद्धिक प्रमुख श्री शुभम् गौड ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री द्वारा इस महाराष्ट्र स्तरीय मंगलभावना समारोह के संदर्भ में पत्र प्रेषित किया था, जिसका वाचन श्री महावीर कांकरिया ने किया।मंगलभावना समारोह में साक्री तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती सुरेखा कर्नावट, महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व स्पीकर श्री अरुण भाई गुजराती, स्थानीय विधायक श्रीमती मंजुला गावित, कृषि एवं पशु संवर्धन, धुलिया सभापति श्री चंद्रहास चौपड़ा, श्री दिलीप घोष, मुम्बई के प्रतिनिधि श्री मनोहर गोखरु, पश्चिम महाराष्ट्र से श्री मनोज संकलेचा, मराठवाड़ा से श्री सुभाष नहार, खानदेश की ओर श्री नानक तनेजा ने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। साध्वी प्रज्ञाश्रीजी ने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति देते हुए सहवर्ती साध्वियों सहित गीत का संगान किया।