🌸 *गुस्से से प्रीति का हो जाता है नाश : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण* 🌸
*-महातपस्वी का महा परिश्रम, पथ में परिवर्तन से करीब 35-40 कि.मी. दूरी की हुई वृद्धि*
*-11 कि.मी. का विहार, शेवाळी में स्थित छत्रपति शिवाजी प्राथमिक विद्या मंदिर में पधारे शांतिदूत*
*-शेवाळीवासियों ने किया भावभीना स्वागत, प्राप्त किया पावन आशीर्वाद*
*-आचार्यश्री ने जनता को गुस्से पर नियंत्रण रखने दी पावन प्रेरणा*
*29.06.2024, शनिवार, शेवाळी, धुळे (महाराष्ट्र) :*
जन-जन का कल्याण करने वाले, जन-जन पर आशीष बरसाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने श्रद्धालुओं की भावनाओं को पूर्ण करने के लिए अपने निर्धारित यात्रा पथ में परिवर्तन कर चुके हैं। महाराष्ट्र के पिंपलनेर गांव की स्पर्शना के लिए आचार्यश्री के यात्रापथ में परिवर्तन के कारण सूरत तक पहुंचने के निर्धारित दूरी में लगभग 35-40 किलोमीटर की दूरी भी बढ़ गयी है। इसके लिए गत तीन दिनों से प्रातः और सायंकाल दोनों समय महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी महाश्रम कर रहे हैं।
भक्तों की भावनाओं को साकार करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शनिवार को प्रातः अक्कलपाडा से मंगल प्रस्थान किया। अक्कलपाड़ा में पन्जारा नदी के नीचले हिस्से में स्थित गांव में बांध भी बना हुआ है। आचार्यश्री बांध मार्ग से पधार रहे थे। बरसात और बांध के कारण वातावरण का दृश्य मनोरम बना हुआ था। लोगों को आशीष प्रदान करते हुए महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर शेवाळी में स्थित छत्रपति शिवाजी प्राथमिक विद्या मंदिर में पधारे। विद्यालय के विद्यार्थियों व शिक्षकों तथा ग्रामीण जनों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।
छत्रपति शिवाजी माध्यमिक विद्यालय के हिस्से की ओर आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल देशना देते हुए कहा कि आदमी के भीतर अनेक वृत्तियां होती हैं। अपनी वृत्तियों के कारण कभी अच्छा, सभ्य और नेक लगता है तो अपराधी, चोर भी नजर आता है। सद्वृत्तियों के प्रभाव से आदमी अच्छा तथा असत्वृत्तियों के प्रभाव से आदमी बुरा नजर आता है।
मानव की एक असत् वृत्ति है-गुस्सा। आदमी को पहले मन में गुस्सा आता है। मन में गुस्सा आने के बाद आदमी वाणी से अनाप-सनाप बोलने लगता है। इस प्रकार गुस्सा मन से होते हुए वाणी में आ जाता है और फिर कभी कोई गुस्से के वशीभूत होकर मारपीट कर तो गुस्सा शरीर के साथ भी आ जाता है। इस प्रकार गुस्सा मन, वचन और काया तीनों में सफल हो जाता है। आदमी को अपने गुस्से को विफल करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपने गुस्से पर नियंत्रण कर ले तो उसके जीवन में शांति और प्रेम का विकास हो सकता है। गुस्सा प्रीति का नाश करने वाला होता है।
इसलिए आदमी को अपने जीवन में गुस्से को क्षीण करने के लिए शांति, स्नेह के पथ पर अग्रसर होना चाहिए। आदमी अपने गुस्से पर नियंत्रण कर ले तो उसके भीतर प्रेम व प्रीति सदैव बरकरार रह सकेगी। आदमी को इस जीवन में परस्पर सहयोगी बनने का प्रयास करना चाहिए। सूत्र में कहा गया है-परस्परोपग्रहो जीवनाम्। आदमी को परस्पर सहयोग करने की भावना रखने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार आदमी अपने गुस्से को कृष अथवा क्षीण करने का प्रयास करे। आचार्यश्री ने शेवाळी के ग्रामीणों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया।
आचार्यश्री के स्वागत में ब्रह्माकुमारी कविता दीदी, माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती सुनीता आस्मां नाईक, सरपंच श्री प्रदीप नायरे व श्री सुरेश सोलंकी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।