प्रेस-विज्ञप्ति
*जैनाचार्य विमलसागर जी का जैन साहित्य संगम को मिला आत्मीय-आशीर्वाद*
*जैन कवियों ने किया आध्यात्मिक काव्यपाठ*
-जगदीप जैन ” हर्षदर्शी”
मैसूर,
प्रखर प्रवचनकार, आचार्य श्री विमलसागर जी के साथ जैन कवि-साहित्यकारों का आध्यात्मिक मिलन सिद्धलिंगपुरा स्थित महावीर जिनालय में हुआ ।
जैन साहित्य संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीप जैन “हर्षदर्शी” ने आचार्यश्री के समक्ष संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जैन कवि-साहित्यकारों, चिन्तक-विचारक आदि के उत्थान-उन्नयन व उत्कर्ष के लिए यह संस्था देश-विदेश में कार्य कर रही है। आचार्यश्री ने हर्षित हृदय से संस्था को शुभाशीर्वाद दिया । आपश्री ने कहा “कवि-साहित्यकार जैन समाज की धरोहर है । जैन साहित्यकारों के कल्याणार्थ संस्था का पुरुषार्थ श्लाघनीय है । मैं अंतर्मन से अनुमोदना करता हूँ ।”
पूज्य आचार्यश्री, मुनि भगवंतों व विशिष्टजनों की उपस्थिति में जैन साहित्य संगम के कवियों ने काव्यपाठ किया । कवि मनोज मनोकामना ने “पग जब धरा पर धरने लगे, हर कण धरा के चमकने लगे, तब हमने जाना कि क्या है गुरु, तब हम गुरु गुण हम गाने लगे…सुनाकर कर गुरु महिमागान किया । कवि जगदीप “हर्षदर्शी” ने आचार्यश्री के व्यक्तित्व व कृतित्व को रेखांकित करते हुए “विमलसागर गुरुराज, मधु सम है आवाज, झुकता जैन समाज, चरण प्रणाम है… कवित्त सुनाया तो श्रोता श्रद्धान्वत हो उठे । दिनेश जैन ने “अर्थी निकली, अर्थ नहीं निकला, बेशकीमती जीवन, यूँ ही व्यर्थ निकला..जीवन का कटुसत्य उजागर किया । वरिष्ठ गीतकार श्री कैलाश जैन ने माँ के माहात्म्य पर आधारित गीत “सदा समर्पण जीवन जिसका, हर कदम चुनौती है, जिसकी माँ न हो, उससे पूछो माँ क्या होती है… सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया ।
आचार्यश्री से शुभाशीर्वाद लेने के पश्चात् जैन साहित्य संगम राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीप हर्षदर्शी, कर्नाटक अध्यक्ष डाॅ. प्रकाश दक, सचिव गौतम सालेचा, राष्ट्रीय महामंत्री मनोज जैन मनोकामना, संरक्षक कैलाश जैन तरल, मध्यप्रदेश अध्यक्ष दिनेश जैन, ट्रस्टी कांतिलाल चौहान, डाॅ. भरत जैन ने महावीर दर्शन आई हाॅस्पीटल व डायलिसिसका अवलोकन कर रोगियों की कुशलक्षेम पूछी ।