🌸 *ज्योतिचरण का चरणस्पर्श पा ज्योतित हुआ अमलनेर* 🌸*-भव्य स्वागत जुलूस के साथ युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का अमलनेर में पावन पदार्पण**-श्री एन.टी. मुन्दडा ग्लोब व्यू स्कूल में पधारे शांतिदूत**-आत्मयुद्ध से शाश्वत सुख की प्राप्ति संभव : अध्यात्मवेत्ता आचार्यश्री महाश्रमण**-अमलनेरवासियों ने अपने आराध्य की अभिवंदना में दी भावनाओं को अभिव्यक्ति**23.06.2024, रविवार, अमलनेर, जलगांव (महाराष्ट्र) :*खान्देश क्षेत्र की धरा को अपने पावन चरणों से पवित्र बनाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, महातपस्वी, ज्योतिचरण, आचार्यश्री महाश्रमणजी के चरणरज को प्राप्त कर रविवार को अमलनेर की धरा ज्योतित हो उठी। वर्षों बाद अपने आराध्य के अपने आंगन में अमलनेरवासी हर्षविभोर नजर आ रहे थे। अपने आराध्य के अभिवंदना में मानों पूरा अमलनेर उमड़ आया था। स्वागत जुलूस के साथ युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अमलनेर में एकदिवसीय प्रवास हेतु श्री एन.टी. मुन्दडा ग्लोब व्यू स्कूल में पधारे।इसके पूर्व रविवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कुर्हे खुर्द से मंगल प्रस्थान किया। आसमान में छाए बादलों के कारण सूर्य अदृश्य था तो धूप का प्रकोप भी नहीं था, किन्तु वर्षा के बाद वाली उमस लोगों के पसीने छुड़ा रही थी। मार्ग में स्थान-स्थान पर उपस्थित जनता को अपने शुभाशीष से आच्छादित करते हुए गंतव्य की ओर बढ़ते जा रहे थे। अमलेनरवासी अपने नगर में अपने आराध्य के आगमन से अति उत्साहित नजर आ रहे थे। उत्साही श्रद्धालु तो दूर मार्ग में ही पहुंचकर अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करने लगे। जैसे ही आचार्यश्री अपनी धवल सेना संग अमलनेर नगर की सीमा पर पहुंचे वहां उपस्थित श्रद्धालुओं ने बुलंद जयघोष किया। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री अमलनेर में स्थित श्री एन.टी. ग्लोब व्यू स्कूल में पधारे। आज आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में सूरतवासी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।स्कूल से कुछ सौ मीटर दूर स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज नाट्य मंदिर में आयोजित मंगल प्रवचन में उपस्थित विशाल जनमेदिनी को अध्यात्मवेत्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में कभी-कभी युद्ध की बात सामने आती है। कोई-कोई युद्ध बहुत लम्बा चलता है तो किसी-किसी युद्ध का शीघ्र परिणाम भी आ जाता है। धर्मशास्त्रों में भी युद्ध की बात बताई गई है, किन्तु यहां आत्मयुद्ध करने की बात बताई गई है। शास्त्र में कहा गया है कि स्वयं की आत्मा से युद्ध करके शाश्वत सुख की प्राप्ति संभव हो सकती है। पदार्थों से प्राप्त होने वाला सुख अस्थायी होता है, किन्तु आत्मयुद्ध से प्राप्त सुख शाश्वत होता है। आत्मयुद्ध का अर्थ है आदमी स्वयं की आत्मा के साथ युद्ध करे। जैन आगमों में आठ प्रकार की आत्माएं बताई गई हैं। इनमें कषाय आत्मा, अशुभ योग आत्मा व मिथ्यादर्शन आत्मा। आदमी को इन तीन आत्माओं से युद्ध कर इन्हें परास्त करने का प्रयास करना चाहिए व शाश्वत सुख की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।प्रश्न हो सकता है कि इस आत्मयुद्ध को किन शस्त्रों के माध्यम से जीता जा सकता है? इसके लिए शास्त्र में बताया गया कि कषाय के साथी कोप रूपी शत्रु को उपशम रूपी शस्त्र से समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए। गुस्से को मानव का सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है। उपशम की साधना, शांति और मृदुता की भावना का विकास करने से कोप रूपी शत्रु पर विजय प्राप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार अहंकार को मार्दव, मृदुता से, माया को सरलता से, लोभ को संतोष से जीता जा सकता है। सात्विक गुणों के द्वारा आत्मशत्रुओं पर विजय प्राप्त किया जा सकता है।आचार्यश्री ने आगे कहा कि दुनिया में होने वाले बाह्य युद्ध भी शांत हों। मैत्री, अहिंसा के द्वारा कोई रास्ता निकालने का प्रयास हो। आचार्यश्री ने अमलनेरवासियों को पावन आशीर्वाद भी प्रदान किया। साध्वी प्रबलयशाजी ठाणा- 3 को भी आचार्यश्री ने शुभाशीर्वाद प्रदान किया।कार्यक्रम में उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने संबोधित किया। एक चतुर्मास के उपरान्त आचार्यश्री के दर्शन से हर्षित साध्वी प्रबलयशाजी ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ गीत का संगान किया। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री राजेश बैदमूथा व श्री प्रतीक जैन ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल तथा सकल जैन महिला मण्डल ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया।