🌸 *मोक्ष प्राप्ति का उपाय है योग : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण* 🌸*-अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योग साधना में रत रहने की दी पावन प्रेरणा**-9 कि.मी. का विहार कर धरणगांव में स्थित पी.आर. हाईस्कूल में पधारे ज्योतिचरण**-धरणगांववासियों ने शांतिदूत का किया भावभीना अभिनंदन**-आचार्यश्री ने योग दिवस जनता को कराया योग का प्रयोग**21.06.2024, शुक्रवार, धरणगांव, जलगांव (महाराष्ट्र) :*21 जून। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, महातपस्वी, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने धरणगांव के पी.आर. हाईस्कूल प्रांगण में उपस्थित जनता को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दिन पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि योग शब्द की महिमा बहुत व्यापक है। योग की साधना अध्यात्म की साधना है। मोक्ष प्राप्ति का उपाय योग है। सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन और सम्यक् चारित्र सम्यक् आराधना हो, वह योग है। योग आदमी को मोक्ष से जोड़ने वाला होता है। इसलिए सारी धर्म की प्रवृत्तियां भी योग होती हैं। चित्त की वृत्ति का निरोध ही योग है।पातंजल योग अष्टांग योग की बात बताई गई है। आदमी के जीवन में योग की साधना हो। अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य व अपरिग्रह की साधना भी योग है। शुभ योग में रहना भी योग है। आज 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। योग के विश्व व्यापकता का दिन है। कितने-कितने लोग सामूहिक रूप में आज के दिन योग करते हैं। एक दिन के लिए मानों पूरा विश्व योगमय हो जाता है। भगवान महावीर परम योगी थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कितनी साधना की। परम पूज्य आचार्यश्री भिक्षु, परम पूज्य गुरुदेव तुलसी भी योग-साधना करते थे। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी भी ध्यान, साधना के द्वारा योग की प्रेरणा देते थे। योग आसान, प्राणायाम, व्यायाम तक सीमित नहीं है, कषायों से मुक्ति का प्रयास भी योग है, तपस्या भी योग है तो स्वाध्याय भी योग है। चारित्रात्माएं तो योगी होते ही हैं, श्रावक-श्राविकाएं भी अपनी चेतना को निर्मल बनाने के लिए योग-साधना का अभ्यास करते रहें।आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को थोड़ी देर ध्यान का प्रयोग भी कराया। आज चतुर्दशी होने के कारण आचार्यश्री ने हाजरी का वाचन करते हुए चारित्रात्माओं को विविध प्रेरणाएं प्रदान कीं। इसके साथ ही आचार्यश्री ने विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि संतों में मुख्यमुनि के अलावा चार ऐसे नामित किए जाएं तो मुमुक्षु संख्या वृद्धि के लिए विशेष रूप से कार्य करें। इसी प्रकार साध्वियों और समणियों में से भी इच्छित चार-चार के नाम मांगे। आचार्यश्री की अनुज्ञा से मुनि देवकुमारजी व मुनि ध्यानमूर्तिजी ने लेखपत्र का वाचन किया। आचार्यश्री ने मुनिद्वय को तीन-तीन कल्याणक बक्सीस किए। तदुपरान्त उपस्थित चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का वाचन किया।इसके पूर्व शुक्रवार को प्रातःकाल महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पिंप्री खुर्द से अगले गंतव्य की ओर गतिमान हुए। गत कल सायं हुई बरसात के बाद भी मौसम में उमस बनी हुई थी। इसमें सूर्य की किरणें उन्हें और अधिक बढ़ा रही थीं। लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ धरणगांव में स्थित पी.आर. हाईस्कूल में पधारे।आचार्यश्री के आगमन से हर्षित धरणगांववासियों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री की मंगल प्रेरणा के उपरान्त महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर श्री अरुण भाई गुजराती ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री के स्वागत में श्री अजय पगारिया, बालिका प्रेक्षा व आराध्या, बालक उपांशु कुमठ, श्रीमती टिना कुमठ, सुश्री ईक्षिता कुमठ, प्रतीक्षा कुमठ व श्रीमती मिनल कुमठ ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। धरणगांव श्रीसंघ की अरिहंत बहू मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया।