🌸 *जलगांव को आध्यात्मिकता से आप्लावित कर ज्योतिचरण का पावन प्रस्थान* 🌸*-लगभग 11 कि.मी. का विहार कर पालाधी में पधारे शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण**-स्वयं की शांति के साथ दूसरों की शांति का भी रखें ध्यान : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण**19.06.2024, बुधवार, पालधी, जलगांव (महाराष्ट्र) :*दो दिनों तक जलगांव को आध्यात्मिक ज्ञानगंगा के प्रवाह से आप्लावित कर जन-जन के कल्याण के लिए ज्योतिचरण पुनः गतिमान हुए तो उनके चरणों में मानों पूरा जलगांव अपनी कृतज्ञता अर्पित करने लगा। जन-जन को आशीष प्रदान करते हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ बढ़ चले।अब धीरे-धीरे महाराष्ट्र की यात्रा सुसम्पन्न कर गुजरात की सीमा मानवता के मसीहा का मंगल प्रवेश होगा। गुजरात की धरा भी महामानव के आवभगत के लिए आतुर नजर आ रही है। डायमण्ड सिटी के नाम से प्रख्यात गुजरात का शहर सूरत युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के वर्ष 2024 के चतुर्मास का साक्षी बनेगा, इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं। लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी पालधी में स्थित भाऊसाहब गुलाबराव पाटिल इंग्लिश मिडियम स्कूल में पधारे।विद्यालय प्रांगण में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपने पावन प्रवचन में भगवान शांतिनाथ के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दुनिया में भौतिक दृष्टि से चक्रवर्ती से बड़ा कोई पद नहीं होता और अध्यात्म की दुनिया में तीर्थंकर से बड़ा कोई पद नहीं होता। भगवान शांतिनाथ ऐसे थे, जिन्होंने एक ही जन्म में चक्रवर्ती भी बने और तीर्थंकर भी बने। उनके नाम से प्रेरणा लेकर आदमी अपने जीवन में शांति को बनाए रखने का प्रयास करे। दूसरों के निमित्त से भी शांति मिल सकती है, आदमी के भीतर से भी शांति की प्राप्ति हो सकती है। आदमी को यह लक्ष्य रखना चाहिए कि स्वयं को शांति में रखने के साथ दूसरों को भी शांति में रहने देने का प्रयास करना चाहिए। दूसरे की शांति को भंग करने का प्रयास न हो।आदमी अच्छी साधना करे, अपने आप पर अनुशासन रखे तो वह अपनी शांति में रह सकता है। चित्त में समाधि रहे तो जीवन में भी शांति रह सकती है। परिवार में सबके साथ रहते हुए शांति को बनाए रखने के लिए आदमी को स्वयं को शांति में रखने का प्रयास करना चाहिए। किसी की बात को सुनकर अशांति में चले जाने वाले की शांति भंग हो सकती है। आदमी को दूसरों की फालतू बातों को ध्यान नहीं देना चाहिए। उसे निकालने का प्रयास करना चाहिए। स्वयं की शांति स्वयं के कण्ट्रोल में रहे, इसके लिए आदमी को अपने कषायों को मंद रखने व जीवन को शांतिमय बनाने का प्रयास करना चाहिए।आदमी अपनी ओर से किसी की शांति को भंग करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। अनावश्यक चिंता का भार ढोने से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को सोल्यूशन को खोजने में लगाने का प्रयास करना चाहिए। योग, ध्यान, साधना आदि के द्वारा मानसिक शांति के विकास का प्रयास करना चाहिए। आदमी को इस दिशा में पुरुषार्थ करने का प्रयास हो। आदमी के भीतर साधना का विकास हो तो शांति की प्राप्ति भी हो सकती है। आदमी स्वयं भी शांति में रहे और दूसरों को भी शांति रहने देने का प्रयास करना चाहिए।विद्यालय परिवार की ओर से जिला परिषद सदस्य व विद्यालय के ऑनर श्री प्रतापराव पाटिल ने आचार्यश्री का स्वागत करते हुए कहा कि मेरा और मेरे का सौभाग्य है कि मेरे स्कूल और मेरे गांव में आप जैसे महान संत का शुभागमन हुआ है। हमारे पूर्वजों की पुण्याई का प्रताप है जो आज मुझे आपके दर्शन व स्वागत का सुअवसर मिला है। मैं आपका हार्दिक स्वागत करता हूं तथा आपसे आशीर्वाद की कामना करता हूं।