प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन
प्रेक्षाध्यान से होता है अन्तर्दृष्टि का विकास मुनिश्री जिनेश कुमार जी
हिंदमोटर
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेशकुमार जी ठाणा -3 के सानिध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्त्वावधान में प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन शंकर विद्यालय में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, हिन्दमोटर द्वारा किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – जीवन के पहाड़ की चढाई बहुत सीधी नहीं होती। इसमें कहीं चढना पड़ता है, कहीं
उत्तरना पड़ता है, कहीं घुमावदार पथ पर पार करना पड़ता है, कही सीधी पगडंडी में चलना पड़ता है। उसी प्रकार जीवन में परिस्थतियों आती है उन परिस्थतियों को झेलने वाला ही सफलता के शिखर पर आरोहण कर सकता है। सफलता न आकाश से उतरती है न धरती पर पैदा होती है नही बाजार में मिलती है। सफलता विफलता हमारे भीतर है जैसे आपके भाव होते है वैसे सफलता मिल जाती है। स्वभाव सद्भाव समभाव, सेवाभाव, सहयोग भाव से सफलता मिल सकती है। स्वभाव में रहना ही सामायिक है। अच्छे भावों से अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण होता है दुर्भाव से मन में अशांति बढती है। सेवा दो दिलों को जोड़ती है सेवा से संघ समाज, परिवार तेजस्वी होता है। बदलते परिवेश में सेवा के अभाव में लोग वृद्धाश्रम की और जा रहे हैं। जिस मां बाप ने आपको पालपोषा उस मां बाप के साथ कभी भी दुव्यवहार नहीं करना चाहिए। मां बाप को समाधि पहुंचाने का लक्ष्य रखना चाहिए। एक दूसरे के सहयोग से साधार्मिक वात्सल्य बढता है। जिनशासन तेजस्वी होता है। सफलता के लिए ध्यान साधना सर्वोत्तम टॉनिक है। ध्यान से चेतना का रुपान्तरण होता है। ध्यान से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक स्वास्थ्य को प्राप्त होता है। ध्यान का अर्थ है जागरूकता। गहराई से देखना ही प्रेक्षाध्यान है। प्रेक्षाध्यान से अन्तर्दृष्टि का विकास होता है। मन प्रसन्नता से भर जाता है। सुषुप्त चेतना जागृत होती है। सभी संभागियों के प्रति आध्यात्मिक मंगल कामना। इस अवसर पर मुनिश्री परमानंदजी ने कहा- मानसिक शांति एवं संतुलन के विकास के लिए प्रेक्षाध्यान प्रक्रिया बहुत महत्त्वपूर्ण है। प्रेक्षाध्यान पद्धति आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की अनमेल देन है। महाप्राण ध्वनि का प्रयोग सभी के लिए बहुत लाभकारी है। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानशाला प्रशिक्षाओं के मंगलचरण से हुआ। प्रेक्षा प्रशिक्षकों द्वारा प्रेक्षाध्यान गीत के संगान किया गया । स्वागत भाषण श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष पंकज पारख ने दिया। कोषाध्यक्ष अशोक संचेती ने गीत प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन मंत्री मनीष रांका ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया। कार्यशाला में अरुण जी नाहटा, मंजू सिपानी, प्रेमलता चोरड़िया, कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया गणपति बाई दुगड़, कार्यशाला संचालन विनीता जैन ने प्रशिक्षण दिया।