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जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के राजस्थानी विभाग के शोधार्थी युवा कवि -साहित्यकार मदनसिंह राठौड़ को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने अपना शोधकार्य राजस्थानी विभागाध्यक्ष एवं केंद्रीय साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत प्रतिष्ठित कवि-आलोचक डॉ गजेसिंह राजपुरोहित के निर्देशन में किया। राठौड़ ने “राजस्थानी साहित्य में लोकदेवता पाबूजी राठौड़: निरख- परख” विषय पर शोधकार्य पूरा किया।
डॉ राठौड़ राजस्थानी के जाने-माने कवि एवं साहित्यकार है।उनके कई शोध-पत्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है एवं शोधकार्य के दौरान कई राष्ट्रीय सेमिनारों में भाग लिया।
गौरतलब है कि ‘शेरगढ़ के सूरमा’ सहित अन्य कालजयी कृतियों के लेखक डॉ मदनसिंह राठौड़ ने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर राजस्थानी में प्रथम स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल हासिल किया था एवं हाल ही में विश्व मायड़ भाषा दिवस के अवसर पर मेहरानगढ़ ट्रस्ट जोधपुर द्वारा ‘मायड़ भाषा सम्मान’ से सम्मानित किया गया।भारतीय संस्कृति के प्रतिपालक लोकदेवता पाबूजी पर पूर्व में प्रकाशित राठौड़ की पुस्तक का राष्ट्रपति मैडल से सम्मानित भाषाविद् जेठूसिंह ईडर ने गुजराती भाषा में अनुवाद किया एवं हाल ही में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के सहयोग से प्रकाशित कवि राठौड़ द्वारा रचित राजस्थानी खंडकाव्य ‘परणी या कंवारी’ का विमोचन किया गया, यह प्रबन्ध काव्य अमरकोट की वीर नारी फूलमदे सोढ़ी व लोकदेवता पाबूजी राठौड़ के विवाह प्रसंग पर आधारित है। पीएचडी की उपाधि मिलने पर क्षेत्र के लोगों ने राठौड़ को बधाइयां दी।