🌸 आत्मकल्याण के लिए करें मानव जीवन का उपयोग : मानवता के मसीहा महाश्रमण 🌸
-नेरुलवासियों को आचार्यश्री ने प्रदान किए मानव जीवन को सार्थक बनाने के सूत्र
-प्रवास के दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं ने दी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति
-मराठी स्कूल के बच्चों ने दी अपनी प्रस्तुतियां, प्राप्त किया पावन आशीर्वाद
03.02.2024, शनिवार, नेरुल, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) : मानव-मानव का कल्याण करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने नेरुल प्रवास के दूसरे दिन शनिवार को तेरना कॉलेज ग्राउण्ड परिसर में बने श्री समवसरण के विशाल प्रवचन पण्डाल में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आगम में मनुष्य जीवन को दुर्लभ बताया गया है। यह जीवन लम्बेकाल तक प्राणियों को प्राप्त नहीं हो पाता है। मानव जीवन की दुर्लभता को जानकर यह चिंतन करना चाहिए कि यह मानव जीवन अभी प्राप्त है तो अपने मानव जीवन को प्रमाद को त्याग कर इसे सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए। यह मनुष्य जीवन दुर्लभ और विशिष्ट भी है। यही वह जीवन है, जिसमें प्राणी साधना करके मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए कुछ सूत्र बताए गए हैं। उनमें पहली बात यह है कि आदमी जिनेश्वर भगवान की भाव पूजा और उनकी भक्ति करें। श्रीमज्जयाचार्यजी द्वारा रचित चौबीसी ग्रन्थ जिनेन्द्र भक्ति का एक अच्छा साधन बन सकता है। दूसरा बात बताई गई कि गुरु की पर्युपासना करने का प्रयास करना चाहिए। तीर्थंकर साक्षात नहीं होने पर गुरु की भक्ति पर्युपासना करें तो मानव जीवन की सार्थकता का एक उपाय हो सकता है। मानव जीवन को सफल बनाने के लिए प्राणियों के प्रति दया और अनुकंपा की भावना रखने का प्रयास करना चाहिए। किसी को दुःख देने, चोट पहुंचाने, किसी भी प्रकार से कष्ट देने का प्रयास न हो। हो सके तो किसी की पवित्र सेवा, आध्यात्मिक सेवा व सहयोग करने का प्रयास हो। सुपात्रदान के रूप में चौथा उपाय बताया गया है। पांचवां उपाय है गुणों के प्रति अनुराग। किसी के प्रति ईर्ष्या नहीं, बल्कि गुणों के प्रति अनुराग और प्रमोद भाव रखने का प्रयास होना चाहिए। मानव जीवन को सफल बनाने के लिए छठा उपाय बताया गया कि आदमी आगमवाणी, गुरुवाणी, पवित्र वाणी का श्रवण करने का प्रयास करना चाहिए। इन सभी विधाओं के माध्यम से आदमी अपने जीवन को सफल और सार्थक बना सकता है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त ओरलैण्डो और न्यूजर्सी से समागत समणी जिनप्रज्ञाजी व समणी अमलप्रज्ञाजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। आचार्यश्री ने समणियों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री के अभिनंदन में मुम्बई प्रवास व्यवस्था समिति के महामंत्री श्री महेश बाफना, जीएसटी कमिश्नर श्री राजेश कोठारी, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती प्रियंका सिंघवी, ठाणे के पूर्व सांसद श्री संजीव नाईक ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों, तेरापंथ कन्या मण्डल व तेरापंथ किशोर मण्डल के सदस्यों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी तथा आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में मराठी स्कूल के सैंकड़ों विद्यार्थी भी उपस्थित थे। विद्यार्थियों ने आचार्यश्री के समक्ष गुरु अभिवंदना गीत व अणुव्रत गीत का संगान किया। तदुपरान्त स्कूल की छात्रा स्नेहा सावंत ने नशामुक्ति पर अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उपस्थित विद्यार्थियों को विविध प्रेरणाएं प्रदान करते हुए सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की प्रतिज्ञाएं कराईं। साथ ही बच्चों को महाप्राण ध्वनि का प्रयोग भी कराया।