होशियार नहीं समझदार बने – मुनिश्री जिनेश कुमार जी
बच्चों के मध्य प्रवचन हुआ।
राजरहाट कोलकाता
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी के सानिध्य में और आरकीड इन्टरनेशनल स्कूल के बच्चों के मध्य महाप्रज्ञ महाश्रमण एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउन्डेशन राजरहाट में प्रवचन हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा- जिस प्रकार नमक के बिना भोजन का मूल्य नहीं है। चमक के बिना वस्तु का मूल्य है। नींव के बिना मकान का मूल्य नहीं है। उसी प्रकार शिक्षा के बिना जीवन का मूल्य नहीं है। शिक्षा से व्यक्तित्व का निर्माण होता है। शिक्षा सत्यं शिवं सुन्दरं का समन्वित रूप है। शिक्षा के साथ सद्संस्कार सद् चरित्र का होना जरूरी है। विनम्रता सहनशीलता, जागरुकता, स्वस्थता, श्रमशीलता सद्संस्कारी बनने के सूत्र है। जीवन में विनम्रता जरूरी है। विनम्रता के बना सत्य शील की साधना असंभव है। अहंकार से व्यक्ति का नुकसान होता हैं। व्यक्ति होशियार नहीं समझदार बने । क्रोध से बुद्धि का नाश होता है, शरीर का नुकसान होता। घर परिवार का वातावरण दूषित होता है। हर प्रवृति में जागरुकता रखनी चाहिए मन वचन काया से स्वस्थ रहे। बुरी भावना से, बचे, कटु वचन से दूर रहे। प्रेम और सौहार्द से रहे। स्वावलम्बी जीवन जीएं। हिंसा, झूठ, चोरी, दुराचार से बचना चाहिए। मुनिश्री ने जीवन विज्ञान के प्रयोग कराए। सद् भावना, नैतिकता, नशा मुक्ति के बारे में बताते हुए स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा दी । मुनिश्री कुणाल कुमारजी ने गीत का संगान, मुनिश्री परमानंद जी ने संचालन किया ।