भगवान पार्श्व जन्म कल्याणक दिवस पर जप अनुष्ठान कार्यक्रम का आयोजन
जैनशासन के ज्योतिर्धर पुरुष थे – भगवान पार्श्व जिनेशकुमारजी
राजरहाट कोलकाता
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार की ठाणा-3 के सान्निध्य में भगवान पार्श्व जन्म कल्याणक दिवस पर जप अनुष्ठान कार्यक्रम का भव्य आयोजन राजारहाट स्थित महाश्रमण विहार में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा सॉल्टलेक एवं आचार्य महाप्रज्ञ महाश्रमण एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउण्डेशन द्वारा किया गया। जप अनुष्ठान में लगभग ।।। जोड़ों व सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम में उपसर्गहर स्तोत्र, बीजमंत्र, एवं पार्श्वनाथ मंत्रों का जप श्रद्धालुओं द्वारा स्वस्तिक आकार में बैठकर भी किया गया।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – भगवान पार्श्व इस अवसर्पिणी काल के तेवीस वे तीर्थकर हुए हैं। भगवान महावीर ने उनके लिए “पुरुषादानी शब्द का प्रयोग किया है अर्थात् ‘ वे पुरुषों में श्रेष्ठ थे। उनका पुन्यबल उत्कर्ष था। वे जैनशासन के ज्योतिर्धर पुरुष थे। वे विध्न विनाशक संकट मोचक, आत्मप्रकाशक थे। उन्होंने लाखों लाखों भव्यजीवों का कल्याण किया उन्होंने चातुर्याम धर्म का प्रवर्तन किया। मुनि श्री ने आगे कहा. राजकुमार पार्श्व बनारस के राजा अश्वसेन के पुत्र व माता वामा के दुलारे थे। जब वे गर्भ में थे तब मां ने रात्रि में साँप को परिपार्श्व से जाता देखा इसलिए उनका नाम पार्श्वकुमार रखा ।राजकुमार पार्श्व अतीन्द्रिय ज्ञान के धनी थे। । वे प्रारंभ से ही क्रांतिकारी थे। उन्होंने अंधविश्वास व अज्ञान पर विशेष प्रहार किया। मुनिश्री ने आगे वर्तमान दुनिया में हिंसा, आतंक, भय, भ्रष्टाचार, अत्याचार व अराजकता का माहौल बना हुआ है ऐसी स्थिति में भगवान पार्श्व के बताए मार्ग पर विश्व चले तो अनेक वैश्विक समस्या का समाधान हो सकता है। आज भगवान पार्श्व जन्म कल्याणक है। जन्मदिवस त्याग तपस्या के द्वारा मनाना चाहिए’ कुछ लोग जन्मदिवस पर केक काटते है मोम -बत्ती बुझाते है यह हमारी, जैन संस्कृति के विरुद्ध है। जन्मदिन काटने व बुझाने का नहीं जन्मदिन तो जोड़ने व प्रकाश का उत्सव है। भगवान पार्श्व का जप करके जीवन को निर्मल व पवित्र बनाए। इस अवसर पर बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल, पूर्वांचल द्वारा 108 महिलाओं के साथ भगवान पार्श्व की स्तुति गान के मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया।
इस कार्यक्रम में बृहतर कोलकाता के विभिन्न सभा श्रेत्रो से श्रद्धालुगण उपस्थित रहे। इस अवसर पर अच्छी संख्या में श्रद्धालुओं ने उपवास, बेला, तेला तप के प्रत्याख्यान किये।
आवासीय अष्टदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का भी शुभारंभ हुआ AMMERF के अध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया, धर्मपत्नी सुशीला देवी पुगलिया एवं माताजी किरण देवी पुगलिया पौषध व्रत में जप अनुष्ठान में सम्मिलित हुए।