🌸 महातपस्वी महाश्रमण की मंगल सन्निधि में नववर्ष के आध्यात्मिक आगाज को उमड़ा श्रद्धा का ज्वार 🌸
-चेम्बूर में महात्मा महाश्रमण के श्रीमुख से नववर्ष का मंगलपाठ का श्रवण कर निहाल हुई जनता
-मंगलमय व शांतिमय हो सन् 2024 : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-जनता की विराट उपस्थिति से विशाल व्यवस्थाएं भी साबित हुईं बौनी
-मंगल सन्निधि में पहुंचे भारत सरकार के संसदीय कार्य व सांस्कृति मंत्री श्री अर्जुन मेघवाल
-साध्वीप्रमुखाजी, साध्वीवर्याजी व मुख्यमुनिश्री ने भी जनता को किया उद्बोधित
01.01.2024, सोमवार, चेम्बूर, मुम्बई (महाराष्ट्र) : सन् 2023 की अंतिम रात्रि का समापन व सन् 2024 के मंगल सूर्योदय की प्रथम किरण का शुभागमन। इन सूर्य की किरणों का धरती पर स्पर्श करने से पूर्व ही चेम्बूर के एन.जी. आचार्य एण्ड डी.के. मराठे कालेज आर्ट, साइन्स एण्ड कॉमर्स में विराजमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ ग्यारहवें अनुशास्ता, मानवता के मसीहा, शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में मुम्बई व उसके आसपास की जनता ही नहीं, भारत के कोने-कोने व विदेशी धरती से इतने श्रद्धालु नववर्ष के आध्यात्मिक शुभारम्भ के लिए पहुंचे कि इस कॉलेज परिसर में की गई विशाल व्यवस्थाएं भी मानों बौनी साबित हो गईं। सूर्योदय के कुछ समय पूर्व से ही इस परिसर में जनता की उपस्थिति का जो ज्वार उठा, वह अपने आराध्य के श्रीमुख से मंगलपाठ श्रवण व पावन पाथेय प्राप्त करने के बाद भी उमड़ा रहा। महातपस्वी, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी ने श्रद्धालुओं को ठीक 11.21 बजे के निर्धारित समय पर सन् 2024 के शुभारम्भ के संदर्भ में मंगलपाठ का श्रवण कराया, मंगल पाथेय तथा एक वर्ष के लिए मंगल संकल्प भी प्रदान किए। वर्ष के प्रथम दिन अपने आराध्य से अध्यात्म का खजाना प्राप्त कर सभी भक्तजन मानों निहाल नजर आ रहे थे। सन् 2024 का प्रथम दिन सोमवार। स्थान चेम्बूर में स्थित एन.जी. आचार्य एण्ड डी.के. मराठे कालेज आर्ट, साइन्स एण्ड कॉमर्स का परिसर। श्रद्धा, भक्ति, विश्वास, उमंग व उत्साह का नवीन संचार। उमड़ता श्रद्धालुओं का ज्वार। मानवता के मसीहा महाश्रमण की मंगलवाणी के आरम्भ होने से पूर्व ही विशाल ज्योतिचरण समवसरण जनाकीर्ण बन गया। उसके बाहर और परिसर में यत्र-तत्र की गई तमाम व्यवस्थाएं भी जनता की विराट उपस्थिति के कारण नाकाफी नजर आने लगीं। लगभग ग्यारह बजे ज्योतिचरण समवसरण के मंच पर चारित्रात्माओं के मध्य उदित हुए तेरापंथ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी। अपने आराध्य की अभिवंदना में श्रद्धालुओं द्वारा किए गए जयघोष की गूंज से पूरा वातावरण महाश्रमणमय बन गया। नववर्ष 2024 के प्रथम प्रभात पर जनता को प्रथम पावन पाथेय प्रदान करते हुए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समय शब्द के अर्थ का वर्णन करते हुए कहा कि 84 लाख जीव योनियों में दुर्लभ मानव जीवन प्राप्त हुआ है। उसके साथ ही पृथ्वी के एक ऐसे क्षेत्र, कुल या परिवार मंे जन्म प्राप्त करना जहां धर्म-अध्यात्म की बातें व साधु-संतों की प्रेरणाएं प्राप्त होती हैं। ऐसा संयोग प्राप्त करना सौभाग्य की बात हेाती है। सन् 2024 का प्रारम्भ हो रहा है। सन् 2023 आया था, अब वह अतीत हो गया। जो अब लौटकर भी नहीं आ सकता। वर्तमान कभी अतीत और भविष्य कभी वर्तमान बनता है। शास्त्र में बताया गया कि आदमी समय मात्र भी प्रमाद न करे। धर्म में रमे रहने वाले का समय सफल और अधर्म से युक्त रहने वाले का समय असफल हो जाता है। यह सन् 2024 कल्याण और शुभ भावों में बीते, ऐसा प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री के पावन पाथेय के मध्य ही घड़ी ने जैसे ही ग्यारह बजकर इक्कीस मिनट का समय कि तो महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने नववर्ष 2024 के संदर्भ में मंगलपाठ का उच्चारण प्रारम्भ कर दिया। करबद्ध हुए हजारों हाथ, श्रद्धा के साथ इस दृश्य को निहारते हजारों नयन और श्रीमुख से आर्षवाणी का श्रवण करते हजारों कान। महातपस्वी महाश्रमणजी की श्रीमुख से गूंजती आर्षवाणी से जन-जन का मन ही नहीं, मुम्बई का समूचा वातावरण मंगलमय बन रहा था। जन-जन धन्यता की अनुभूति कर रहा था। नववर्ष के मंगलपाठ के उपरान्त आचार्यश्री ने मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि सन् 2024 मंगलमय और शांतिमय हो। अपनी आत्मा के कल्याण के साथ-साथ जीतना संभव हो सके, दूसरों की धार्मिक-आध्यात्मिक सेवा करने का प्रयास हो। कठिनाइयों मंे भी निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उत्साह के साथ पुनः आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में हिम्मत, मनोबल व साहस रहे। कठिनाइयों में भी शांति और धैर्य बना रहे तो आदमी कठिनाइयों से भी पार पा सकता है। आचार्यश्री ने नववर्ष के शुभारम्भ के अवसर पर जनता को एक वर्ष के लिए अपनी धारणा के अनुसार कोई एक संकल्प स्वीकार करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए अपनी ओर से चौबीसी को कंठस्थ करने का सुझाव प्रदान करते हुए जनता को धारणा के अनुसार संकल्प कराया। उपस्थित श्रद्धालु जनता ने अपने आराध्य को त्रिपदी के विधि अनुसार वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री ने उपस्थित भारत सरकार के मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल को भी पावन आशीर्वाद प्रदान किया। आज के इस कार्यक्रम में साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी, मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी व साध्वीवर्याजी ने भी उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। संयोग से आज के ही दिन तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता गणाधिपति आचार्यश्री तुलसी का दीक्षा दिवस भी था। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में जनता को अभिप्रेरित किया। कार्यक्रम में उपस्थित भारत सरकार के संसदीय कार्य व संस्कृति मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल ने अपने अभिभाषण में कहा कि बड़े सौभाग्य की बात है कि आज के इस महनीय अवसर पर मुझे भी आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन और श्रीमुख से मंगलपाठ सुनने का अवसर प्राप्त हो गया। ऐसे गुरु के चरणों में उपस्थित होने से ही जीवन धन्य हो जाता है। आपसे प्राप्त प्रेरणा को हम जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। जैन विश्व भारती के मंत्री श्री सलिल लोढ़ा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।