🌸 सद्भक्ति का विकास है कल्याणकारी : अध्यात्मवेत्ता आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-सायन कोलीवाड़ा में दूसरे दिन शांतिदूत ने बहाई अध्यात्म की गंगा
-ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों व क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने दी भावनाओं को अभिव्यक्ति
23.12.2023, शनिवार, सायन कोलीवाड़ा, दक्षिण मुम्बई (महाराष्ट्र) :
सायन कोलीवाड़ा प्रवास का दूसरा दिन। मुम्बई महानगर की उपनगरीय यात्रा में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी सायन कोलीवाड़ा में स्थित लोढ़ा इवाक में प्रवास कर रहे हैं। आचार्यश्री मुम्बई के जिस क्षेत्र में विराजमान हों, श्रद्धालुओं का पहुंचने का क्रम बना रहता है। प्रातःकाल का बृहद् मंगलपाठ हो, दर्शन, सेवा, उपासना हो अथवा सायंकाल आठ बजे से प्रारम्भ होने वाले गुरु के चरणस्पर्श का लाभ। इसे प्राप्त करने के लिए मुम्बईवासी दूर होने के बावजूद भी सहर्ष खींचे चले आ रहे हैं। इसके साथ ही क्षेत्रीय जनता भी सौभाग्य से प्राप्त इस सुअवसर का पूर्ण लाभ लेने को तत्पर नजर आ रहे हैं।
शनिवार को एमएमआरडीए ग्राउण्ड में बने महावीर समवसरण में आयोजित मंगल प्रवचन में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि जैन धर्म में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव व वर्तमान अवसर्पिणी के अंतिम व चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर हुए। मानव जगत में सबसे उच्च व्यक्तित्व अर्हत होते हैं। ये अर्हत अथवा तीर्थंकर अध्यात्मवेत्ता होते हैं। वे अध्यात्म के अधिकृत प्रवक्ता होते हैं। मंत्रों में इन चौबीस तीर्थंकरों को, सिद्धों को, आचार्यों को, उपाध्यायों को व साधु-साध्वियों को नमस्कार किया जाता है। नमस्कार करना, किसी के चरणों में झुक जाना, नमन करना व पैर में मस्तक लगा देना कितनी भक्ति की बात होती है। आदमी किसी के प्रति भी भक्ति कर सकता है। किसी आदर्श के प्रति, किसी वाणी के प्रति, किसी व्यक्ति के प्रति, किसी सिद्धांत व आदर्श के प्रति भी भक्ति हो सकती है। थोड़ी कठिनाई भी हो तो भक्ति में डूबा हुआ आदमी कठिनाई भी सहन कर सकता है। आदमी को अपनी भक्ति से च्यूत नहीं होना चाहिए। देश के जवानों में देश के प्रति भक्ति होती है तो देश की सुरक्षा में वे अपने प्राणों की आहूति भी दे देते हैं। इसी प्रकार आदमी को भी कोई कठिनाई हो, कष्ट भी हो तो भी अपने भक्ति के मार्ग पर अडिग रहने का प्रयास करना चाहिए। बच्चों में ऐसे संस्कारों का विकास होना चाहिए। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों में ऐसे संस्कार भी आएं कि वे अपनी भक्ति की भावना के प्रति अडिग बन सकें। बच्चों में शिक्षा के साथ अच्छे संस्कारों भी आते हैं तो उनका जीवन गुणवत्तापूर्ण हो सकता है। बच्चे झूठ बोलने से बचें, सच्चाई के पथ पर चलने का प्रयास करें, सच्चाई पर अडिग रहें। ईमानदारी, अहिंसा, भक्ति, समर्पण की भावना हो तथा भक्ति की निष्ठा पुष्ट रह सकें। गृहस्थों में भी ऐसे सुसंस्कार बने रहें। सद्भक्ति का विकास हो, यह काम्य है।
आचार्यश्री ने अपने प्रवचन के दौरान एक कथा सुनाई, जिसे प्रवचनोपरान्त सम्मुख उपस्थित ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों को वह कथा सुनाने को कहा तो अनेक छोटे-छोटे ज्ञानार्थियों ने अपनी भाषा में वह कथा सुनाई। यह दृश्य उपस्थित जनता को आह्लादित करने वाला था।
कार्यक्रम में धुलिया में चतुर्मास करने के उपरान्त गुरुदर्शन करने वाली साध्वी सिद्धप्रभाजी ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति देते हुए अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने समागत साध्वियों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। तेरापंथी सभा सायन कोलीवाड़ा के अध्यक्ष श्री अशोक धाकड़, आचार्य महाप्रज्ञ चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री प्रकाश जी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। स्थानीय ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी तथा ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत का संगान किया। बच्चों ने संकल्पों का उपहार प्रस्तुत किया। तेरापंथी सभा व तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने संयुक्त रूप से स्वागत गीत का संगान किया। एमडीडब्ल्यूएस की तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने गीत का संगान किया। एमडीडब्ल्यूएस के ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भी अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी व संकल्पों का उपहार समर्पित किया। सायन कोलीवाड़ा की तेरापंथ कन्या मण्डल की सदस्याओं ने अपनी प्रस्तुति दी। गौरीदत्त मित्त स्कूल के बच्चों ने भी अणुव्रत से संबंधित गीत का संगान किया व पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।