🌸 मुम्बई उपनगरीय यात्रा का प्रलम्ब विहार : महातपस्वी महाश्रमण पधारे सायन कोलीवाड़ा 🌸
-अपने आराध्य की कृपा को प्राप्त कर निहाल हुई सायन कोलीवाड़ा व क्षेत्रीय जनता
-शक्ति को बढ़ाने व उसके सदुपयोग का करें प्रयास : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
-हर्षित श्रद्धालुओं ने अपनी भावनाओं को दी अभिव्यक्ति
22.12.2023, शुक्रवार, सायन कोलीवाड़ा, दक्षिण मुम्बई (महाराष्ट्र) : पंचमासिक चतुर्मास के उपरान्त मुम्बई महानगर की उपनगरीय यात्रा कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, महातपस्वी महाश्रमणजी ने शुक्रवार को चतुर्मास के उपरान्त उपनगरीय यात्रा के दौरान का सबसे प्रलम्ब विहार किया। श्रद्धालुओं पर कृपा बरसाने को, जन-जन को आध्यात्मिक प्रेरणा से भावित बनाने को इतना प्रलम्ब विहार के साथ ही स्थान-स्थान पर खड़े श्रद्धालुओं को समयानुसार प्रतिबोध, आशीर्वाद व दर्शन देते हुए लगभग बारह बजे आचार्यश्री का निर्धारित प्रवास स्थल में प्रवेश हुआ। अपने आराध्य की ऐसी कृपा प्राप्त कर सायन कोलीवाड़ा, माटुंगा, धारावी, वडाला व सायन आदि क्षेत्र के श्रद्धालु भी हर्षविभोर नजर आ रहे थे। शुक्रवार को प्रातःकाल शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना संग कालबोदवी स्थित महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री का अगला दो दिवसीय प्रवास सायन कोलीवाड़ा में निर्धारित था। जिसकी अनुमानित दूरी लगभग तेरह किलोमीटर थी। इसके बावजूद विहार कर रहे आचार्यश्री ने मार्ग में आने वाले अनेकानेक श्रद्धालुओं के मकान, दुकान, आफिस, व्यावसायिक प्रतिष्ठान आदि स्थानों पर कुछ क्षण ठहरते, भक्तों को मंगलपाठ सुनाते और आशीष बांटते हुए बढ़ते जा रहे थे। आज का विहार चतुर्मास के बाद हुए विहार में सबसे सर्वाधिक था, किन्तु भक्तवत्सल आचार्यश्री महाश्रमणजी मधुर मुस्कान के साथ जन-जन की भावनाओं को स्वीकार करते हुए गंतव्य की ओर बढ़ते जा रहे थे। हालांकि प्रकृति ने अपनी थोड़ी अनुकूलता दिखाते हुए आसमान के सूर्य को बादलों से ढंग दिया, जिसके कारण विहार के दौरान तीव्र आतप का प्रभाव कम हो गया। जैसे-जैसे आचार्यश्री इस क्षेत्र की ओर बढ़ते जा रहे थे, लोगों का उत्साह भी बढ़ता जा रहा था। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री दो दिवसीय प्रवास के लिए लोढ़ा इवाक् में स्थित गन्ना परिवार के निवास स्थान में पधारे। प्रलम्ब विहार और जनोद्धार करने वाले महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कुछ क्षण प्रवास स्थल में विराजने के बाद पुनः प्रवास स्थल से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित एम.एम.आर.डी.ए. ग्राउण्ड में बने प्रवचन पण्डाल में पधार गए। महावीर समवसरण से महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में शक्ति का बहुत महत्त्व है। जो आदमी शक्तिशाली होता है, वह मानों उसके लिए सौभाग्य की बात होती है। जो असक्त, कमजोर, असहाय और निर्बल है, वह एक प्रकार से अभिशापित होता है। जीवन अनेक प्रकार के बल होते हैं। शरीर बल, वचन बल अर्थात वाणी का बल, मनोबल, धनबल और बुद्धिबल। शक्ति का होना और उसका विकास होना अच्छी बात है, किन्तु उसका उपयोग कैसा हो रहा है, यह ध्यातव्य बात होती है। इन्हीं शक्तियों के दुरुपयोग व सदुपयोग के आधार पर दुर्जन और सज्जन की पहचान भी बताई गई है। दुर्जन की बुद्धि लड़ाई कराने में, धन अहंकार में, शरीर की शक्ति दूसरों को प्रताड़ित करने, कष्ट पहुंचाने में करता है। सज्जन की बुद्धि विवाद को निपटाने में, समस्या को सुलझाने में, धन दान में और शरीर की शक्ति दूसरों की रक्षा, स्वयं की रक्षा और सेवा में उपयोग आती है। आदमी को अपनी सभी शक्तियों का विकास करने का प्रयास करना चाहिए और उसका सम्यक् सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री तुलसी ने तनबल का प्रयोग कर कितनी लम्बी-लम्बी यात्राएं कर ली, मनोबल भी उनका बहुत मजबूत था, जिसके माध्यम से उन्होंने कितने-कितने संघर्षों को सहजता के साथ पार कर लिया। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने अपने बुद्धिबल का प्रयोग कर कितने-कितने ग्रंथों का संपादन आदि कार्य में किया। इसी प्रकार आदमी को अपनी शक्ति के विकास और उसके सुदपयोग का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने क्षेत्रवासियों को शुभाशीष प्रदान करते हुए कहा कि यहां के लोगों में खूब धार्मिक संस्कार बने रहें। सायन कोलीवाड़ा आगमन के संदर्भ में आचार्यश्री ने कहा कि यहां की जनता व गन्ना परिवार में खूब धार्मिक संस्कार बने रहें। उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उद्बोधित किया। आचार्यश्री के स्वागत में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा-मुम्बई के कार्याध्यक्ष श्री नवरतनमल गन्ना व तेयुप के अध्यक्ष श्री हिम्मत सोलंकी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल- मुम्बई सायन कोलीवाड़ा की सदस्याओं ने स्वागत गीत का संगान किया।