- मुद्रा उत्सव 2023 के उद्घाटन समारोह में मुनि श्री जिनेश कुमार जी द्वारा उद्बोधन
भारतीय संस्कृति के उज्ज्वल नक्षत्र थे- भगवान महावीर – मुनिश्री जिनेश कुमारजी
साउथ कोलकाता
कलकत्ता मुद्रा परिषद द्वारा हल्दीराम बैंक्वेट हॉल में मुद्रा उत्सव – 2023 का का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। जिसमें थीम 2550 वां भगवान महावीर निर्वाण था। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेशकुमार जी को आमंत्रित किया गया था। उद्घाटन समारोह में उपस्थित जनसभा को संबोधित
करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा – भगवान महावीर भारतीय संस्कृति के उज्ज्वल नक्षत्र थे। वे जैन नहीं जिन थे। ये व्यक्ति नहीं संस्थान थे। वे निर्ग्रंथ थे। उन्हें ग्रंथों और पंथों में न खोजकर स्वयं में खोजें। भगवान महावीर क्षत्रिय राजकुमार थे। वे वैशाली के राजा सिद्धार्थ के पुत्र थे। उन्होंने 30 वर्ष की उम्र में धन, वैभव, सत्ता, राज सुख को त्यागकर संयम स्वीकार किया। साढ़े बारह वर्षों तक उन्होंने साधना करके केवल ज्ञान प्राप्त किया तीर्थ की स्थापना करके वे जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर बने। वे जैन धर्म के प्रवर्तक नहीं उन्नायक थे। उन्होंने अपने ज्ञान के द्वारा जनमानस को प्रकाशित किया। उन्होने अहिंसा, अनेकान्त और अपरिग्रह का सिद्धान्त दिया” उन्होंने मन, वचन, काया से होने वाली हिंसा से बचने की बात कही है। हिंसा से शांति एवं समाधान सम्भव नहीं है। अगर विश्व भगवान महावीर की इस सिद्धान त्रयी को स्वीकार कर ले तो अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है। जो दूसरों को जीतता है वह वीर होता है और जो अपने आप को जीतता है वह महावीर होता है। भगवान महावीर का 2550 वाँ निर्वाण का प्रसंग उपस्थित हुआ है। कलकत्ता मुद्रा परिषद।इस इस प्रसंग पर भगवान महावीर पर मुद्रित मुद्राओं की प्रदर्शनी द्वारा एक नया संदेश दिया है। सभी भगवान महावीर के संदेशों को अपनाएँ और फैलाएं जिससे जन-जन का भला हो सके।
इस अवसर पर कलकत्ता मुद्रा परिषद् , नेपाल मुद्रा परिषद, भारतीय मुद्रा परिषद के गणमान्य व्यक्ति, तेरापंथ जैन समाज के गणमान्य व्यक्ति भी विशेष रूप से उपस्थित थे।