🌸 सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की ज्योति ले दक्षिण मुम्बई में पधारे ज्योतिचरण 🌸
-भव्य स्वागत जुलूस के साथ दक्षिण मुम्बईवासियों ने अपने आराध्य का किया भव्य स्वागत
-मानव जीवन का लक्ष्य हो मोक्ष की प्राप्ति : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
17.12.2023, रविवार, कालबादेवी, दक्षिण मुम्बई (महाराष्ट्र) :
-शांतिदूत की मंगल सन्निधि में पहुंचे महाराष्ट्र विस के स्पीकर व कैबिनेट मंत्री
पश्चिम देशों के लिए भारत का प्रवेश द्वार, देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई महानगर के उपनगरीय यात्रा के दौरान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने रविवार को प्रातःकाल वर्ली से गतिमान हुए। महातपस्वी आचार्यश्री अपनी इस उपनगरीय यात्रा के दौरान आज दक्षिण मुम्बई की ओर गतिमान थे। दक्षिण मुम्बईवासी अपने आराध्य के मंगल पदार्पण को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे थे। अपने आराध्य की मार्गसेवा में उत्साही श्रद्धालु पहुंच रहे थे। विहार के दौरान आचार्यश्री आज भिण्डी बाजार में पधारे। जहां जमात-ए-उलामा महाराष्ट्र के सैंकड़ों की संख्या में मुस्लिम लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। आचार्यश्री ने उन्हें पावन पाथेय भी प्रदान किया।
-पंचदिवसीय प्रवास हेतु आचार्य महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल में किया पावन प्रवेश
विभिन्न वर्ग और समुदाय के लोगों द्वारा आचार्यश्री का स्वागत किया जा रहा था। सभी को आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री गंतव्य की ओर गतिमान थे। गूंजते जयघोष से अरब सागर के तट पर बसा यह महानगर महाश्रमणमय बन रहा था। वर्ली सी फेस से होते हुए आचार्यश्री भव्य स्वागत जुलूस के साथ दक्षिण मुम्बई के कालबा देवी क्षेत्र में स्थित आचार्य महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल में पधारे। यहां स्कूली बच्चे भी शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के स्वागत में सोत्साह शामिल थे। आचार्यश्री का पंचदिवसीय प्रवास इसी विद्यालय में निर्धारित है।
मुम्बादेवी पार्किंग कम्पाउण्ड में बने महाप्रज्ञ महाश्रमण समवसरण में उपस्थित जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि मानव जीवन प्राप्त है। जन्म के बाद आदमी जैसे-जैसे उम्र को प्राप्त कर सांसारिक कार्यों में रत हो जाता है। अनेक प्रकार के दैनिक कार्य आदि करता है, लेकिन उसका मूल लक्ष्य क्या है, यह शायद किसी का निर्धारित नहीं होता। सौभाग्य से प्राप्त इस मानव जीवन का मूल लक्ष्य हो अपने पूर्व कर्मों का क्षय कर मोक्ष को प्राप्त करना। इसके लिए मनुष्य को जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। शरीर को पोषण देने का मुख्य लक्ष्य कर्मों का शोषण होना चाहिए।
आचार्यश्री ने जनता को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि इन तीन बातों का ही पालन मानव अपने जीवन में कर ले तो कर्मों का क्षय कर मोक्ष प्राप्ति की दिशा में गति कर सकता है। शिक्षा संस्थानों के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। उस शिक्षा के साथ-साथ यदि अच्छे संस्कार भी देने का प्रयास हो तो बच्चों का सर्वांगींण विकास हो सकता है। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकास के साथ-साथ भावात्मक विकास भी हो।
आचार्यश्री ने प्रवचन के दौरान साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी के 67वें जन्मदिवस के संदर्भ में उन्हें मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। आज के कार्यक्रम में उपस्थित महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर श्री राहुल नार्वेकर व कैबिनेट मंत्री श्री मंगल प्रभात लोढ़ा को आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि राजनीति के कार्यों में भी नैतिकता रहे और जनकल्याण की भावना हो तो राजनीति भी सेवा का अच्छा माध्यम सिद्ध हो सकती है।
मंगल प्रवचन के उपरान्त उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने संबोधित किया। आचार्यश्री के स्वागत में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर श्री राहुल नार्वेकर ने कहा कि आज के इस आनंदमय कार्यक्रम में उपस्थित होकर स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन का अवसर प्राप्त हो जाना बहुत बड़ी पुण्याई है। मेरा तो मानना है कि दक्षिण मुम्बई के लिए आज का दिन दशक का सबसे पावन दिन है। मैं समस्त जनता की ओर से आपका हार्दिक स्वागत करता हूं। आपकी कृपा सदैव बनी रहे। कैबिनेट मंत्री श्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमणजी का व्यक्तित्व चमत्कारिक है। आपके दर्शन मात्र से ही कितनी समस्याओं का समाधान हो जाता है।
दक्षिण मुम्बई सभा के अध्यक्ष श्री गणपत डागलिया ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने स्वागत गीत का संगान किया।