सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर
Key Line Times
कोबा, गांधीनगर (गुजरात),कोबा में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में चतुर्मासरत जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की निरंतर प्रवाहित होने वाली अमृतवाणी का लाभ श्रद्धालु प्राप्त कर रहे हैं। चतुर्मास काल अब भले ही सम्पन्नता की ओर है, किन्तु श्रद्धालुओं का अपने आराध्य की सन्निधि में उपस्थित होने का क्रम निरंतर लगा हुआ है।शुक्रवार को प्रातःकालीन मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के लिए ‘वीर भिक्षु समवसरण’ में उपस्थित श्रद्धालुओं को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘आयारो’ आगमाधारित अपने मंगल प्रवचन में कहा कि वस्त्र, पात्र आदि उपकरणों के प्रति अनासक्ति और निज धर्म में दृढ़- यह दो बातें साधु के लिए आवश्यक होती हैं। साधु उपकरणों के प्रति अनासक्त रहे और अपने धर्म के प्रति दृढ़ और निष्ठावान रहे तो उसकी साधुता अच्छी हो सकती है। साधु के लिए आसक्ति व मोह का भाव तो साधुता मंे बाधा डालने वाला बन सकता है। इसलिए साधु को मोह व आसक्ति से दूर रहने तथा अनासक्ति की भावना को मजबूत बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।साधु को एक स्थान पर जमकर नहीं रहना चाहिए। एक जगह चतुर्मास कर लिया, विहार का समय आ गया तो उसे वहां से विहार कर देना चाहिए। साधु को रमता हुआ अच्छा कहा गया है। जिस प्रकार बहता पानी स्वच्छ होता है उसी प्रकार स्थान-स्थान पर रमण करने वाला साधु शुद्ध साधु होता है। जिस प्रकार एक स्थान पर पानी एकत्रित होने से पानी गन्दा हो जाता है, वैसे ही अधिक समय तक एक ही स्थान पर साधु निवास करने लग जाए तो उसकी साधना और साधुता में कमी की बात हो सकती है अथवा आ सकती है।हमारा प्रेक्षा विश्व भारती में चतुर्मास हो रहा है। यहां से छह नवम्बर को विहार होना चाहिए। विहारचर्या को साधु के लिए प्रशस्त बनाया गया है। साधु के विहार से नए-नए लोगों का कल्याण भी हो सकता है। इस प्रकार साधु को किसी भी प्रकार आसक्ति में लीन नहीं होना चाहिए और धर्म के प्रति दृढ़ रहना चाहिए। गृहस्थों में भी अपने धर्म के प्रति दृढ़ता रहे। जहां तक संभव हो सके गृहस्थ को अनासक्ति की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।आचार्यश्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष’ के संदर्भ में अखिल भारतीय तेरापंथ द्वारा आचार्यश्री भिक्षु के संदर्भ में स्थान-स्थान पर चल रहे जप अनुष्ठान से संदर्भित कार्यक्रम आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में आयोजित हुआ। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने आचार्यश्री भिक्षु के नाम जप का क्रम चलाया। इसके साथ चतुर्विध धर्मसंघ ने जप में सहभागिता दर्ज कराई। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सुमन नाहटा ने अपनी जानकारी प्रदान की। समणी कुसुमप्रज्ञाजी व समणी विपुलप्रज्ञाजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। साध्वीप्रमुखाजी ने भी अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल को अभिप्रेरित किया।