🌸 धर्म से प्रभावित रहे राजनीति – आचार्य महाश्रमण🌸
- पुज्यप्रवर ने प्रदान की संसार से निवृत्ति की प्रेरणा
31.10.2023, मंगलवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)
सदाचार, ईमानदारी और अहिंसा की प्रेरणा प्रदान करते हुए जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी प्रवचन वाणी से नित्य श्रद्धालुओं को कृतार्थ कर रहे है। नंदनवन परिसर में आचार्यश्री की सन्निधि में आगंतुकों को ऐसा अहसास होता है मानों इस दौडभाग भरी जिंदगी में आचार्य श्री के आभामंडल में आकर वें परम शांति का यहां अनुभव करते है। चातुर्मास काल अब संपन्नता की ओर बढ़ चला है। एक माह से भी कम समय अब चातुर्मास परिसंपन्न होने में अवशेष है। किंतु श्रावक समाज की श्रद्धा भावना उसी उल्लास उमंग के साथ समान नजर आ रही है।
धर्मसभा में भगवती आगम के सूत्रों का विवेचन करते हुए आचार्य श्री ने कहा– किसी भी कुल, जाति के लोग धर्म कर सकते है, धर्म करने के अधिकारी होते है। प्राचीन काल में राजकुल में अनेक वंश होते थे। जैसे उग्र, भोज, राजन्य, इक्ष्वाकु, नाग व गौरव आदि का वर्णन प्राप्त होता है। ये राजघराने के व्यक्ति भी एक उम्र आने के बाद धर्म के प्रति स्वयं को जोड़ देते थे। राजकुल के लोगों में शौर्य भी होता वे इस शौर्य का उपयोग सांसारिक कार्यों में व धार्मिक साधना में भी करते। धर्म करने के लिए मूल है भावना, साधना व साधुत्व। रामायण में भी उल्लेख मिलता है कि जब राजा उम्र पा लेते व राजकुमार कार्यभार संभाल लेते तो राजा सन्यास धारण कर लेते व साधु जीवन स्वीकार कर लेते।
गुरुदेव के आगे प्रेरणा देते हुए कहा कि राजनीति का भी अपना क्षेत्र होता है व अपना महत्व होता है। राजनीति से जुड़े लोग शुद्धता, न्यायप्रियता व जन सेवा का जीवन जीयें यह अपेक्षित है। राजनीति भी धर्म से प्रभावित रहे। राजनीति में अर्थ प्राप्ति व अर्थ संग्रह को प्रधानता न दी जाए व उससे जुड़े लोग भी ईमानदारी का पालन करें। हर आदमी एक अवस्था के बाद जीवन को नया मोड़ दें व अन्य कार्यों से निवृत होकर धार्मिक कार्यों को प्रधानता दे व धर्म के पथ पर अग्रसर होता रहे तो जीवन सार्थक बन सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षा ध्यान शिविर का शुभारंभ कल से
प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी की मंगल सन्निधि में कल दिनांक 01 नवंबर से 22 वें अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षा ध्यान शिविर प्रारंभ होने जा रहा है। जिसमें रशिया, यूक्रेन, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, वियतनाम आदि से संभागी जन भाग लेंगे।