*दुगड दंपति द्वारा संचालित प्रेक्षाध्यान योग साधना केंद्र कांदिवली मुंबई का 27 वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर नंदनवन परिसर तीर्थंकर समवसरण में परम् पावन परम् श्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में केंद्र की बहनों द्वारा सुंदर गीतिका प्रेक्षाध्यान कांदिवली से आये द्वार तुम्हारे हम वंदन करते सारे *की मधुर स्वर लहरियों के साथ जबरदस्त प्रस्तुति दी। गीतीका से पहले वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षिका प्रवक्ता उपासिका श्रीमती विमलाजी दुगड ने सुंदर मुक्तकों की प्रस्तुति दी ।वरिष्ठ प्रेक्षा- प्रशिक्षक प्रवक्ता उपासक संस्कारक कांदिवली तेरापंथी सभा के अध्यक्ष पारसमल दुगड ने अपन सार गर्भित वक्तव्य में हृदयसिक्त उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कश आज हृदय सागर में अतल आनंद की उर्मिला उछल रही है। क्योंकि जिस छोटे कार्य की शुरुआत 26 वर्ष पूर्व की थी आज वह काफी विशाल हो गया है। एक बीज वटवृक्ष बन गया है जो पांच केंद्रों के माध्यम से पांच स्थानों पर विधिवत चल रहा है। 26 वर्षों के इस शानदार सफर में सैकड़ो लोग जुड़े सैकड़ो सैकड़ो लोगों ने व्याधि मुक्त होकर स्वस्थता का व शुकून का अनुभव किया है। पारसमलजी दुगड ने अपने वक्तव्य में केंद्र की कई उपलब्धियां के बारे में बताया एवं गुरुदेव से आशीर्वाद प्रदान करने के लिए श्रद्धानत विनय पूर्वक निवेदन किया। पूज्यप्रवर ने आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा प्रेक्षाध्यान के संदर्भ में बताया गया की 27 वां वर्ष लग रहा है। तो नियमितता रहना विशेष बात होती है। कोई भी कार्य उसमें अनावश्यक अनियमित ना हो। प्रायः नित्य चलता रहे करणीय कार्य उसका भी एक अपना महत्व होता है ।तो पारसजी दुगड ने भी अपनी बात रखी और भी जो भी लोग जुड़े हुए हैं खूब अच्छा प्रेक्षा-ध्यान का आध्यात्मिक की दृष्टि से काम करते रहे और हो सकता है प्रयोग से शारीरिक समस्या का भी समाधान प्राप्त हो जाए तो हो जाए सबसे मूल बात है आत्मा की समस्या का समाधान हो जाए। आत्मा निर्मल बन जाए ।कोई अच्छा क्रम चलता रहे लोगों में प्रचार प्रसार बीच जितना आध्यात्मिक की दृष्टि से प्रचार हो और कराने वाले हैं भी उनका भी उत्साह अच्छा बना रहे अच्छा काम चलता रहे मंगल कामना।