





🌸 वांट एंड नीड के अंतर को समझे – आचार्य महाश्रमण🌸
- युगप्रधान ने बताया संतोष को शांति का उपाय
- पुज्यवर द्वारा मुमुक्षु को दीक्षा की घोषणा
20.10.2023, शुक्रवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)
अणुव्रत द्वारा सार्वभौम अहिंसा, सद्भावना, नैतिकता की अलख जगाने वाले युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी अपने साधु–साध्वियों की धवल सेना के साथ समाज में सदाचार की शिक्षा देने का महनीय कार्य कर रहे है। आचार्यश्री की सन्निधि हर आगंतुक को एक अनुपम शांति के अहसास से भर देती है। जीवन को सन्मार्ग दिखाने वाले प्रवचनों द्वारा गुरुदेव नित नवीन शास्त्र वाणी से जनता को लाभान्वित कर रहे है। आज के कार्यक्रम में युगप्रधान आचार्यश्री ने महत्ती कृपा कर मुमुक्षु मुकेश चिप्पड़ को 31 जनवरी 2024, बुधवार, माघ कृष्णा पंचमी को बृहत्तर मुम्बई में साधु दीक्षा प्रदान करने का आदेश प्रदान किया।
मंगल प्रवचन में उद्बोधन देते हुए आचार्य श्री ने कहा – भगवान महावीर से प्रश्न किया गया कि भंते ! प्रासुक विहार क्या है ? तब भगवान ने उत्तर प्रदान किया- साधु उद्यानों में, बस्तियों में पैदल विहार करता है वह प्रासुक विहार की श्रेणी में आता है। साधु विचरण करते रहते है। उनको रहने के लिए स्थान आदि मिल जाते हैं तो एक दिन में भी कई विहार हो सकते हैं व पर्युषण, चातुर्मास आदि के लिए लम्बा ठहराव भी हो सकता है। स्थान ऐसा हो जिसमें श्रोता प्रवचन भी सुन सकें व शुद्ध गौचरी आदि की भी सुविधा उपलब्ध हो। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि साधु का रहवास साधना के अनुकूल स्थान में होना चाहिए। जहाँ भी रहे साधु के मन में संतोष हो, उसका मन संतुष्ट रहे।
गुरुदेव ने एक कथा के माध्यम से आगे प्रेरणा देते हुए कहा कि वांट एंड नीड ये दो शब्द है। एक तो होती है चाह और एक होती है आवश्यकता। गृहस्थ आदि भी इस ओर ध्यान दे की भीतर में संतोष की भावना कितनी है। किसी वस्तु की आवश्यकता होना अलग बात होती है उसकी पूर्ति भी की जा सकती है किंतु चाह का कोई अंत नहीं होता। भीतर में लालसा कम होनी चाहिए। ऐसा नहीं की किसी के पास में कोई वस्तु देखी और पसंद आगई तो हमे भी वही चाहिए। जिस चीज की कितनी आवश्यकता हो, जितना पास में हो उसमें ही संतोष रखना चाहिए। संतोष का जीवन शांति का जीवन है।
इस अवसर पर प्रेक्षाध्यान योगसाधना केंद्र कांदिवली के 26 वर्ष पूर्ण कर 27 वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर वहाँ से सम्बद्ध साधक-साधिकाओं द्वारा गीत की प्रस्तुति दी गई। वरिष्ठ योग प्रशिक्षक श्री पारसमल दुगड़ ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त की।




