नोखा।आचार्य तुलसी ने एक महत्वपूर्ण उद्घोष दिया था। निज पर शासन फिर अनुशासन के साथ जीवन विज्ञान और प्रेक्षा ध्यान का नियमित अभ्यास हमें स्वयं अपने ऊपर नियंत्रण की कला सिखाता है ।व्यक्ति यदि स्वयं पर शासन करना सीख जाए तभी एक अनुशासित व्यक्ति समाज या देश की कल्पना की जा सकती है। यह विचार शुक्रवार को बाबा छोटू नाथ विद्यालय में साध्वी पुलकित यशा ने अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत आयोजित अनुशासन दिवस के अवसर पर बोलते हुए रखें। उन्होंने छात्रों को छोटे-छोटे उदाहरण देते हुए बताया कि हमारे जीवन में संयम व अनुशासन रहकर किस तरह जीवन सफल बना सकते हैं। साध्वी श्री ने महा प्राण ध्वनि कराते हुए बताया कि इससे एकाग्रता बढ़ती है, एवं चंचलता घटती है। उच्चारण शुद्ध होता है, एवं वाणी में मधुरता आती है। आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, एवं भाव निर्मल होते हैं। अनुशासन का विकास होता है। साध्वी श्री ने छात्रों को संकल्प भी कराया और बताया कि अगर रोजाना नियमित आप इन संकल्प का प्रयोग करें तो संकल्प शक्ति का विकास होता है ,दृढ़ता की अनुभूति होती है ।शक्ति संपन्न बनाकर साहसी बनते हैं। प्रायश्चित कर अपनी कमियों और दोषो से छुटकारा पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपने मन पर अनुशासन करें तो जीवन बदल सकता है। इच्छाओं पर भी संयम रखें ।मन को कंट्रोल करें अच्छे कपड़े पहनने से व्यक्ति की पहचान नहीं होती, व्यक्ति का चरित्र कैसा है, उसका आचरण कैसा है , उससे व्यक्ति की पहचान होती है ।इसलिए हमें हमेशा संयमित रहते हुए अपने चरित्र अपने आचरण पर ध्यान देना चाहिए। साध्वी विधि प्रभा ने कहा कि अणुव्रत आचार्य संहिता अच्छा आदमी बनने के लिए अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों को स्वीकार करना चाहिए व्यक्ति सुधरेगा तभी समाज सुधरेगी और राष्ट्र सुधरेगा अणुव्रत रूपी कल्पवृक्ष की छांव में बैठने से पाप से निजात मिल सकेगा। और अच्छा जीवन जीने का मौका मिल सकेगा। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल 99% सोशल मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है, जिसके कारण हमारा जीवन खराब हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें सोशल मीडिया का उतना ही उपयोग करना चाहिए जिससे हमें शिक्षा में उसकी आवश्यकता है। अपना लक्ष्य बनाकर अपने जीवन को सफल बनावे।उन्होंने कहा कि करें अगर आप प्रश्न पूछेंगे तो आपका जीवन सफल होगा। उन्होंने गुरुजनों से भी आह्वान किया कि वह अपने छात्रों को अनुशासित तो बनाए ही इन्हें जीवन जीने की कला भी सिखाए। इस अवसर पर वहां उपस्थित छात्रों ने साध्वी श्री के सामने किसी प्रकार का नशा अपने जीवन में नहीं करने का संकल्प भी लिया। नगर पालिका के उपाध्यक्ष तेरापंथ सभा के अध्यक्ष निर्मल भूरा ने बताया कि आचार्य तुलसी ने 2 मार्च 1949 को सरदार शहर में अणुव्रत आंदोलन का शुभारंभ किया एवं इसकी आचार संहिता बनाई अणुव्रत का आधारभूत तत्व है आत्म अनुशासन यह एक धर्म नहीं है किसी भी धर्म संप्रदाय में विश्वास रखने वाला व्यक्ति इसका सदस्य बन सकता है ।हमारे जीवन सफल बनाने के लिए हमें अणु व्रत की आचार संहिता को स्वीकार करना चाहिए। विद्यालय के प्रधानाचार्य नारायण दत्त सारस्वत ने कहा कि विद्यालय का सौभाग्य है कि अणुव्रत समिति नोखा ने अनुशासन दिवस के अवसर पर इस विद्यालय का चुनाव किया ।हमें अणुवत के 11 नियमों का पालन करना चाहिए। जिससे हम सभी का जीवन सफल हो सके। इस अवसर पर अणुवत समिति के अध्यक्ष मनोज घीया,महावीर नाहटा,हंसराज भुरा ,इंद्र चंद्र मोदी, मनोज रांका, आदि ने अणुव्रत के 11 नियमों का बोर्ड विद्यालय के लिए प्रधानाचार्य को सोपा। संचालन इंदरचंद बैद ने किया।
समाचार साभार : महावीर नाहटा