

आज का मुसलमान
पिता का इंतकाल हुआ मौलाना साहब को बुलाओ कुरान पढ़वाना है।
मां का इंतकाल हुआ मौलाना साहब को बुलाओ कुरान पढ़वाना है।
भाई का इंतकाल हुआ मौलाना साहब को बुलाओ कुरान पढ़वाना है।
कई सालों से घर में परेशानियां चल रही है मौलाना को बुलाओ कुरान पढ़वाना है।
कई सालों से घर परेशानियों से निकल नहीं पा रहा मासूम बच्चों को बुलाओ मासूम खिलाना है।
हकीकत
घर में शादी है डीजे वाले को बुलाओ जश्न मनाना है।
घर में मंगनी है नाचने वालों को बुलाओ जश्न मनाना है।
घर में जन्मदिन है सगे संबंधी रिश्तेदारों को बुलाओ खुशियां मनाना है।
घर में बच्चा पैदा हुआ ढोल ताशे वालों को बुलाओ जश्न मनाना है।
घर में पैसों की आमद हुई अच्छा काम चला दोस्तों रिश्तेदारों को बुलाओ पार्टी देनी है।
और यही सब करने के बाद जब उस इंसान का इंतकाल होता है तब वही सारे घर वाले जिनके लिए यह सब किया था सबसे पहले कहते हैं जनाजे को जल्दी उठाओ इस्लाम में जनाजा ज्यादा देर रखना जायज नहीं है। मुसीबत और परेशानियों में अल्लाह और उसकी पाक किताब याद आती है और कुशहाली और अच्छे दिनों में बेहयाई बेशर्मी याद आती हैं और कहते हैं यार यह खुशहाली ज्यादा दिन क्यों नहीं टिकती।
नोट. कुरान की तिलावत गम में भी हो और खुशी में भी हो गम में तिलावत करो तो अल्लाह मकफिरत फरमाता है अल्लाह हर अजाब से बचाता है और खुशी में तिलावत हो तो अल्लाह उसी खुशी को बडा देता है उसमें बरकत अता फरमाता है हर हाल में उसका जिक्र जरूरी है। तभी उस काम में अल्लाह बरकत देता है इसलिए मंदबुद्धियों से अपील है कि कोई इसे अन्यथा ना ले हालांकि मुझे पता है कि यह पोस्ट कई लोगों को ना ग्वार गुजरेगी क्योंकि अच्छी चीज हजम करने के लिए अच्छा हाजमा होना चाहिए जब अच्छे अच्छे अलीम ही आज के मुसलमान को नहीं समझ पा रहे तो मेरी क्या औकात क्या हस्ती बस में तो यूं ही लिख देता हूं अच्छे लगे तो इसको आगे बढ़ा देना वरना अपनी जगह तो पड़ी रहेगी कोई दिक्कत नहीं।मोहम्मद हयात गैसावत




