

नारी अबला तेरी यही कहानी ,
है अब यह कहावत पुरानी,
अब नयी रवानी है बनानी,
उठ खड़ी हो,
अब ना तू दबने वाली,
ना तू अन्याय को सहने वाली,
कर अपने इरादे बुलंद
स्वयं तुझे लड़ना होगा,
अपना अस्तित्व न मिटने देना,
रिश्तो में ना तू बांट स्वयं को,
ना सिर्फ अच्छी मां ,बहन, बीवी ,बेटी का तमका ही तुम का है लेना,
सिर्फ
यही ना हो तेरी सफलता की कुंजी,
अपनी एक नई पहचान बना तू,
रूढ़ियों के जंजीरों को तोड़ तू,
अपने लिए भी जीना सीख तू,
अपनी सीमा असीम बना ले तू ,
बन ज्वाला कर प्रशस्त पथ अपना,
चांद नहीं ,बन सूर्य आलोकित कर जग को तू ।।




