



प्रवचन बड़ौत 15-08-23
स्वतन्त्रता आनन्दकारी- आचार्य विशुद्ध सागर
दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने अजितनाथ सभागार मे श्री अजितनाथ मन्दिर कमेटी मंडी बड़ौत के तत्वावधान मे आयोजित धर्मसभा में मंगल प्रवचन करते हुए कहा कि- “स्वतन्त्रता में जो सुख है वह अन्यत्र नहीं है। परतन्त्रता में ही दुःख है। स्वतन्त्र रहना श्रेष्ठ है, परन्तु स्वच्छन्दता क्षण भर की दुःखद होती है। स्वच्छन्दता सर्वनाश करा देती है। एक पक्षी भी पिंजड़े से स्वतंत्र होना चाहता है, पशु भी रस्सी के बंधन से छूटना चाहता है, पशु भी स्वतंत्रता के सुख को जानता है और स्वतंत्र होने का प्रयास करता है।जिसको स्वतन्त्रता का बोध नहीं, वह स्वतन्त्र होने का विचार भी नहीं कर सकता है। स्वतन्त्रता में ही परमानन्द है, स्वतन्त्रता में ही शान्ति है, स्वतन्त्रता में ही निराकुलता है, स्वतन्त्रता में ही विवेक है। स्वतंत्र जीवन स्वर्ग के समान सुखद होता है। स्वतंत्रता का बोध करो, परतंत्रता को छोड़ो।संसार में कोई कर्मों से परतन्त्र है, कोई भोगों से परतंत्र है, कोई रोगों से परतन्त्र है, कोई व्यसनों में परतन्त्र है, कोई आदत से परतन्त्र है, कोई कषायों से परतन्त्र है। मानव को स्वतंत्र होने का मान ही नहीं है। अज्ञानी परतन्त्रता में ही मग्न हो रहा है।
आचार्य श्री ने कहा कि लोक में जिसकी आशा चलती है, वह अपने-आपको सुखी समझता है और जो आज्ञा का पालन करता है वह दुःखी होता है। पर आश्रित होना ही परतन्त्रता है। स्वदेशी बनो, पाश्चात्य संस्कृति से जुड़कर परतंत्र मत बनो। विदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना भी परतंत्रता है। विदेशी विचारों से प्रभावित होना भी परतंत्रता है। सेवकपना छोड़ो, स्वामी बनो। हीनता परतन्त्रता है। आत्मानुशासन स्वतंत्रता है। अनुशासन “असमर्थ लोग ही परतंत्रता का जीवन जीते हैं।
क्षमता हीन, समता शून्य मानव ही परतंत्र जीवन जीता है। गुण शून्य, बुद्धि विहीन नर परतंत्र जीवन जीता है। वीर पुरुष, धैर्यवान स्वतंत्र जीवन जीते हैं। संसार में भ्रमण करना ही पराधीनता है। जो राज्य करते हैं, उनका शासन नहीं चलता। जो प्रचार करते हैं, विचारक होते हैं उनका राज्य चलता है ।परतंत्रता ही दुःख है, परतंत्रता ही कष्ट है, परतंत्रता ही संकट है। संस्कारों से संस्कारित मानव ही स्वतंत्र जीवन जी सकता है। हर कोई स्वतंत्र जीवन जीना चाहता है, परन्तु परतन्त्रता के कारणों को छोड़ना नहीं चाहता है।सभा का संचालन पंडित श्रेयांस जैन और वरदान जैन ने किया।
आज दीप प्रज्वलन श्री नाहर सिंह जी कुमार उद्योग परिवार की और से, पाद प्रक्षालन श्री राय चंद राजकुमार अंश जैन की और से, शास्त्र भेट श्री सचिन जैन ss ind वालो की और से तथा श्री स्यादवाद महिला संगठन की तरफ से किया गया।प्रवचन के बाद प्रभावना वितरण विमर्श जागृति मंच की तरफ से किया गया।सभा मे सुभाष जैन, राजकुमार जैन, अशोक जैन, हंस कुमार जैन, प्रमोद जैन, मुकेश जैन वरदान जैन, सुधीर जैन, अंकुर जैन, जितेंद्र जैन,विमल जैन, अमित जैन, अनिल जैन, विकास जैन,सुनील जैन, सतीश जैन आदि उपस्थित थे।
वरदान जैन मीडिया प्रभारी
9719640668






