प्रवचन 28-7-2023 बड़ौत…अनुराग मोहन , जिला संवाददाता, Key Line Times
पाप ही शत्रु, धर्म परम मित्र –
दिगम्बराचार्य श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने ऋषभ सभागार मे,धर्म सभा में सम्बोधन करते हुए कहा कि- “जिसका प्रबल-पुण्य होता है उसकी जंगल में भी व्यवस्था बन जाती है और जिसका पुण्यक्षीण होता है उसे घर में भी भूखा रहना पड़ता है।” विवेकी सज्जनों को संकरों के आने पर भी धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए। बड़े- बड़े महा-पुरुषों पर भी संकट आये हैं, पर प्रज्ञजन उपसर्गों में भी अपनी सूझ-बूझ से उत्कर्ष को प्राप्त कर लेते हैं।
नीतिज्ञ उचित समय पर ही बोलते हैं। व्यर्थ में समय नही व्यय करते हैं, जो नीति शून्य होते हैं। जीवन में ऊंचाईयाँ प्राप्त करना है, तो हमेशा विवेक पूर्वक निर्णय करें, क्योंकि विवेक शून्य कार्य दुःखद ही होता है। सोचो, समझो, फिर कार्य करो। विवेक पूर्वक किया गया कार्य सुखद ही होता है।
शास्त्रों का ज्ञान भिन्न है और आत्मज्ञान भिन्न है। शब्द ज्ञानी होना श्रेष्ठ नहीं हैं, परन्तु आत्म ज्ञान सर्व श्रेष्ठ है। सच्चा आत्म-सानी संयम के साथ जीवन जीता है। कोरे मान से क्या लाभ? जो हाथ में प्रज्ज्वलित दीप लेकर भी खाई में गिर जाए, उसका ज्ञान किस काम का ? जो नदी में खड़ा- खड़ा प्यासा रहे, उसकी प्रज्ञा से क्या लाभ? ज्ञान नही श्रेष्ठ है, जिससे तत्त्व-बोध हो, पुण्यरूप प्रवृत्ति हो, संयमाचरण पर आस्था हो, आत्म-कल्याण की पवित्र दृष्टि हो, दया- करुणा, क्षमा एवं परोपकार की कल्याणकारी भावना हो।
महा-पुरुषों की दृष्टि विशाल होती है। श्रेष्ठ-पुरुष जाति, पंथ, सम्प्रदाओं, रूढ़ियों, क्रिया काण्डों के पक्षपात से परे, समदृष्टि सम्पन्न होता है।’ पुण्यक्षीण को वरदान फलित नहीं होते और पुण्यात्मा को श्राप नहीं लगता है। आयु पूर्ण होने पर कोई भी औषधि, तंत्र-मंत्र काम नहीं आते हैं। सच्ची श्रद्धा से बड़ा अन्य कुछ नहीं है और मिथ्या-मान्यता से बड़ा अहितकारी अन्य कुछ नहीं। पाप ही शत्रु है, धर्म ही मित्र है। पुण्य प्राप्त कर भोग-भोगोगे तो दुर्गति होगी और पुण्योदय पर धर्म करोगे तो सिद्धि होगी, मुक्ति का द्वार खुलेगा।
जिस साधक के हृदय में शत्रु-मित्र समान हों, जीवन- मरण में, लाभ-अलाभ में, काँच-कंचन में, उपसर्ग- उत्कर्ष में, स्तुतिः निन्दा में एवं सुख-दुःख में समता भाव हो वही श्रेष्ठ है। समता ही साधुता है।सभा का संचालन डॉक्टर श्रेयांस जैन ने किया।सभा मे प्रवीण जैन, अतुल जैन, धनेंद्र जैन,अशोक जैन, अमित जैन, वरदान जैन, विवेक जैन,धनपाल जैन,राजेश जैन, पुनीत जैन, मनोज जैन,आदिश जैन, संदीप जैन उपस्थित थे
वरदान जैन
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