अनुराग मोहन,जिला संवाददाता बागपत, Key Line Times
,बडौत,दिगंबराचार्य श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने धर्मसभा में सम्बोधन करते हुए कहा कि- पुण्यबली, प्रज्ञावन्त श्रेष्ठ, नीतिज्ञ व्यक्ति को सम्राट अपने समीप रखे, जिससे राज्य में समृद्धि बनी रहे। जिस राज्य में सेठ,, वैद्य, विद्वान हो वही रहने योग्य है।
जहाँ जल-वायु श्रेष्ठ व स्वच्छ हो वही स्थान निवास करने के लिए उत्तम होता है। जिस राज्य में उत्तम- मंत्री होता है, वह राज्य उत्तरोत्तर उन्नति प्राप्त करता है।
👌 सज्जन मनुष्य ‘बोलने के पहले सोचते हैं। मधुर सम्भाषण सज्जनों की कुल विद्या है। सज्जनों की वृत्ति अत्यंत पवित्र एवं शोभनिय होती है। सज्जन लोक-विरुद्ध कार्य नहीं करते हैं। बिना विवेक के न तो बोलो और न ही कुछ कार्य करो। विवेकियों की हर क्रिया स्व-पर कल्याणकारी होती है।
🤔 दुनिया में हर वस्तु की कीमत होती है। पानी की भी कीमत है । पानी न हो तो दुनिया जनशून्य हो जाएगी। पानी से ही फसल होती है, पानी से ही कंठ की प्यास शांत होती है। पानी प्राणों के लिए आवश्यक है। सोचो, पानी न होता तो क्या होता? जन- जीवन के लिए पानी की जरूरत है। पानी नदी में हो, नाली में हो या पेट में, पर वह मिटता नहीं है, इसी प्रकार आत्मा किसी भी पर्याय में हो, पर वह मिटती नहीं है। न भीगे पानी में, न जले अग्नि में, वह चैतन्य भगवान्- आत्मा हमारा।👍
पक्षपात रहित जिनवाणी, निर्ग्रन्थगुरु एवं सर्वज्ञ देव का मिलना पुण्य से ही संभव है। गुरू वही श्रेष्ठ हैं, जो प्रपंचों से शून्य | ज्ञान, ध्यान एवं तप में संलग्न साधक ही सच्चे गुरू होते हैं।
यदि किसी ने आपका अपमान किया है, तो आप क्रोध नहीं जो अपमान करे उसके चरण छू लेना। वह स्वयमेन झुक जाएगा। “अपना सम्मान अपने हाथ में है। अपनी विशुद्धि, यश, बुद्धि, प्रज्ञा को सुरक्षित रखना । रखना।