*जीवन क्षणभंगुर है,मनुष्य जीवन को सार्थक बनाएं*- संत धैर्य मुनी
सतीश चंद लुणावत, राष्ट्रीय उपसंपादक
Key Line Times
ब्यावर, जीवन क्षणभंगुर हैं।यह पानी के बुलबुले के समान है, कभी भी समाप्त हो सकता।हर पल जीवन को सार्थक बनाने के लिए सजग रहे।जीवन की उपयोगिता शुभ कार्य करने में ही है। मानव यदि चाहे तो जीवन के हर पल का सदुपयोग कर सकता है कभी भी आयुष्य पूर्ण हो सकता है, आयुष्य का एक पल भी घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता है यह मनुष्य भव दया, प्रेम, करुणा सहयोग व परोपकार के लिए मिला है। यह विचार पिपलिया बाजार के जैन वीर संघ स्थानक में *परम पूज्य धैर्य मुनि* ने व्यक्त किये। आज का मानव संसार की भौतिक चकाचौंध में अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में व्यस्त है। प्रभु महावीर ने अपने उपदेशों में फरमाया कि सुख दुख, लाभ हानि, उतार चढ़ाव, जन्म मरण सभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं।अतः जन्म के साथ मृत्यु भी निश्चित है। कोई भी प्राणी न अमर हुआ है ना होगा। छोटी सी जिंदगी का उपयोग शुभ कार्यों में करने पर ही सफलता को प्राप्त किया जा सकता है। जिस प्रकार सूपड़ा सार की वस्तु को रख लेता है व निस्सार को बाहर फेंक देता है। ठीक उसी प्रकार जीवन में उपयोगी गुणों को ग्रहण करें व अवगुणों से दूर रहें। अतः जीवन की क्षणभंगुरता को समझ कर अपनी आत्मा को धर्म से जोड़े व अपना मनुष्य जीवन सफल बनाया।
आज आसींद कोयंबटूर तथा आसपास के श्रावक श्राविकाओं ने उपस्थित होकर धर्म लाभ प्राप्त किया। वीर संघ के अध्यक्ष महेंद्रसाखला ने बताया कि रोज नौ से दस प्रवचन शृंखला गतिमान है अधिक से अधिक प्रवचन का लाभ लें।

