सतीश चंद लुणावत, राष्ट्रीय पत्रकार
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बिजयनगर,संस्कृत भाषा हम सभी भारतीयों की मूल भाषा है। संस्कृत भाषा में विश्वसाहित्य का विशाल भण्डार उपलब्ध है। वेद, दर्शनग्रन्थ, पुराण, उपनिषद्, आरण्यक, रामायण, महाभारत से लेकर कालिदास, भारवि आदि तक के महाकवियों ने अनेक ग्रन्थों की रचनाएं की। वर्तमान में भी यह साहित्य साधना संस्कृत भाषा में निरन्तर गतिशील है। संस्कृत भाषा विश्व की सर्वाधिक प्रामाणिक एवं वैज्ञानिक भाषा है। हम सभी को संस्कृत भाषा को अभ्यास में लेते हुए प्रतिदिन परिवार में संस्कृत भाषा में वार्तालाप करना चाहिए। इस वर्ष जनगणना का कार्य सम्पादित किया जाएगा उसमें भी प्रत्येक नागरिक को अपनी प्रथम भाषा संस्कृत भाषा लिखवानी चाहिए। यह उद्गार राजस्थान क्षेत्र के शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग में चित्तौड़गढ़ से पधारे ओम मुनि महाराज ने प्रकट किए हैं। उन्होंने सभी संभागियों को भावी जीवन की शुभकामनाएं देते हुए संस्कृत भाषा की सेवा एवं उसके प्रचार प्रसार के लिए प्रेरित किया। स्वामी श्री ओम मुनि जी महाराज ने प्रशिक्षण वर्ग के अन्तर्गत प्रातः काल सरस्वती मां सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ अपने विचार अभिव्यक्त किए। स्वामी श्री ओम मुनि महाराज ने संस्कृत ग्राम बनाने हेतु अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए कहा है कि राजस्थान में एक ऐसा ग्राम हो जिसमें सभी व्यक्ति संस्कृत भाषा में संवाद करें। उनके समस्त व्यवहार संस्कृतभाषा ही होवे। ध्यातव्य है कि संस्कृत भारती राजस्थान क्षेत्र द्वारा आयोजित शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग में शताधिक संख्या में शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। प्रातः काल जागरण से लेकर रात्रि शयन तक व्यस्त दिनचर्या में साधना कर रहे हैं। के छः स्थानों पर संस्कृत संभाषण शिविरों का उद्घाटन। वर्ग शिक्षण प्रमुख तथा संस्कृत भारती चित्तौड़ प्रान्त के सहमंत्री श्री मधुसूदन शर्मा में बताया है कि संस्कृत भारती राजस्थान क्षेत्र द्वारा आयोजित शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग में भाग लेने वाले शिक्षकों के द्वारा गुलाबपुरा एवं बिजयनगर में छः स्थानों पर नागरिकों के लिए सम्भाषण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। बिजयनगर में प्राज्ञ महाविद्यालय में, दरबार कॉलोनी में शिव मन्दिर पर तथा आर्य समाज मन्दिर में, इस प्रकार तीन सम्भाषण शिविरों का सञ्चालन किया जा रहा है। इसी प्रकार गुलाबपुरा में विवेकानंद बस्ती में स्थित आदर्श विद्या मंदिर, श्री राम बस्ती में स्थित शिव मंदिर तथा दोवन्या बालाजी रोड पर स्थित कल्याण मंदिर में संभाषण शिविरों का उद्घाटन किया गया। इस प्रकार गुलाबपुरा व विजयनगर दोनों नगरों में सामाजिकों के लिए कुल मिलाकर छः शिविरों का उद्घाटन किया गया। उक्त संभाषण शिविरों में उत्साह पूर्वक महिला, पुरुष, बालक बालिकाएं संस्कृत सीखने के लिए भाग ले रहे हैं। मम नाम रमेशः । भवतः नाम किम् ? मम नाम राधा । भवत्याः नाम किम्? एषः दर्पणः । एषा पञ्जिका । एतद् व्यजनम्। सः बालकः । सा बालिका । तत् फलम्। एकम्, वे, त्रीणि, चत्वारि इस प्रकार सरल रीति एवं प्रायोगिक पद्धति द्वारा खेल-खेल में संस्कृत भाषा सिखाई जा रही है जो की एक अद्वितीय प्रयोग है। आदर्श विद्या मंदिर विजयनगर में आयोजित आवासीय वर्ग में भी प्रातः काल 8:30बजे से 10:30 बजे तक सामाजिकों के लिए संस्कृत सीखने हेतु शिविर का संचालन किया जा रहा है जिसमें बिजयनगर के अनेक नागरिक एवं शिक्षक संस्कृत सीखने का लाभ ले रहे हैं।
डॉ. परमानन्द शर्मा द्वारा विरचित ‘त्यागमर्तिरहल्या’ पुस्तक का विमोचन
वर्ग संयोजक श्री सीताराम शर्मा ने बताया है कि वर्ग के प्रार्थना सत्र में स्वामी श्री ओम मुनि महाराज के करकमलों द्वारा संस्कृत भारती चित्तौडप्रान्त के प्रान्तमन्त्री डॉ. परमानन्द शर्मा द्वारा विरचित त्यागमूर्तिरहल्या पुस्तक का विमोचन किया गया। पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने बताया कि अहिल्याबाई होल्कर का संपूर्ण जीवन प्रजापालन एवं उत्तम शासन संचालन में व्यतीत हुआ । संपूर्ण जीवन संघर्ष में एवं विपरीत होने पर भी प्रजा को उसने अपनी संतान से भी अधिक महत्व दिया उनकी न्यायप्रियता, शासन संचालन एवं दंड विधान, कूटनीति, गुप्तचर व्यवस्था आज भी आदर्श एवं अनुकरणीय है। यह पुस्तक वर्तमान समाज को प्रकृति प्रेम समरसता मानवीय जीवन मूल्यों के बारे में दिशा प्रदान करती रहेगी । पुस्तक विमोचन के पश्चात सभी संभाग्यों को स्वामी श्री ओम मुनि जी महाराज द्वारा निशुल्क पुस्तक वितरण की गई।इस अवसर पर संस्कृत भारती क्षेत्र संगठन मंत्री श्री कमल शर्मा महोदय ने संपूर्ण वर्ग की दिनचर्या के विषय में महाराज को निवेदन किया तथा संस्कृत भारती की योजना के बारे में अवगत कराया। क्षेत्र संयोजक डॉ. तगसिंह राजपुरोहित महोदय ने भी अपने विचार अभिव्यक्त किये। शिक्षक संघ राष्ट्रीय के भीलवाड़ा जिला अध्यक्ष श्री गोपाल लाल भील, शिक्षाविद श्री बुद्धि प्रकाश त्रिपाठी, श्री शंभू लाल सेन, खंड संघचालक श्री नरेंद्र केलनी, शिक्षा वेद गिरिराज प्रसाद वैष्णव, डॉ रमाकांत शर्मा, बलवंत गर्ग, भंवरलाल गर्ग । भेरूलाल गर्ग, मानाराम चौधरी, महावीर कुम्हार पं. ललित शर्मा, लीलाधर शर्मा, आदि के साथ ही महाराज के साथ पधारे हुए अतिथि डॉ रोहित सेन प्रोफेसर पॉलिटेक्निक कॉलेज चित्तौड़गढ़, श्री महेंद्र शर्मा सेवानिवृत्ति अधीक्षण अभियंता, श्रवण सिंह राव, शशांक आदि उपस्थित थे।