
डांग जिले के गलकुंड गांव के एक युवक ने सब्जियां उगाईं, जिससे उसे सालाना 4 लाख रुपए से अधिक आमदनी ।
गुजरात,आहवा-डांग
‘हमारा डांग, प्राकृतिक डांग’ अभियान के तहत राज्य के दक्षिणी सिरे पर स्थित क्षेत्र डांग को वर्ष 2021 में पूरी तरह से प्राकृतिक कृषि वाला जिला घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जैविक खेती का दायरा बढ़ाने के लिए गहन प्रयास शुरू किए हैं और देशभर में लगभग 1 करोड़ किसानों को जैविक खेती के अंतर्गत लाने की घोषणा की है।
गुजरात राज्य के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत और राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में किए गए सघन प्रयासों से आज राज्य में प्राकृतिक खेती का प्रचलन बढ़ रहा है। डांग को प्राकृतिक कृषि जिला घोषित किये जाने के बाद यहां खेती से जुड़े आदिवासी युवाओं के जीवन में महत्वपूर्ण परिणाम देखने को मिले हैं। आहवा तालुका के गलकुंड गांव में रहने वाले राजूभाई सहारे की सफलता की कहानी प्राकृतिक खेती की सफलता को दर्शाती है।
ड्रिप सिंचाई पद्धति से एक हेक्टेयर क्षेत्र में खेती शुरू करके वे वर्षों से नागली, डांगर , वरई आदि पारंपरिक फसलों की खेती करते आ रहे हैं। लेकिन आत्मनिर्भर बनने के दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने बागवानी फसलों की खेती शुरू की, जिसके लिए उन्हें सरकार के बागवानी विभाग से विभिन्न सरकारी फसलों के लिए सहायता भी मिली है।
श्री राजूभाई बुधाभाई सहारे ने बागायती विभाग से प्रशिक्षण प्राप्त कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बागवानी खेती शुरू की। आज वे बागवानी फसलों से प्रति वर्ष 4 लाख से अधिक की आय अर्जित कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वे प्राकृतिक खेती के मुख्य पहलुओं, अर्थात् जीवामृत, घनजीवामृत और छनिया खाद का उपयोग करके खेती कर रहे हैं। राजूभाई कहते हैं कि प्राकृतिक खेती में अच्छी पैदावार मिलने के बाद उन्होंने विभिन्न फसलें उगाना शुरू किया। जिसमें उन्होंने मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करके मिर्च, करेला, टमाटर आदि की खेती की।
प्राकृतिक तरीकों से खेती करने के अपने अनुभव साझा करते हुए राजूभाई कहते हैं, “इस विधि से अच्छी पैदावार मिल रही है। हम मौसम के हिसाब से करेला, टमाटर, फ़णसी , धान आदि बोते हैं। डांग के लोगों में ब्रोकली बहुत लोकप्रिय नहीं है, लेकिन मैंने इसे आजमाया। मुझे उम्मीद है कि इस साल खीरे की खेती से अच्छा मुनाफा होगा।”
सरकार से मिलने वाली सहायता के बारे में उन्होंने कहा, “हमें बागवानी विभाग से सब्सिडी मिलती है। हमें अधिकारियों से आवश्यक प्रशिक्षण और सहायता दोनों मिलती है।”बागवानी विभाग ने कच्चे माल, बीज, प्लास्टिक रैप, पैकिंग सामग्री और आम की कलम के लिए सहायता प्रदान की है।