-उपयोगितावाद और अस्तित्ववाद को आचार्यश्री ने किया व्याख्यायित
-कालूयशोविलास : आचार्यश्री कालूगणी की विहार यात्रा का आचार्यश्री ने किया वर्णन
देश-विदेश से उमड़ रहे श्रद्धालु, अपने आराध्य की मंगलवाणी से हो रहे लाभान्वित
10.07.2023, सोमवार, मीरा रोड (ईस्ट), मुम्बई (महाराष्ट्र) :
मुम्बईवासियों को 68 वर्षों बाद मिले सवाये चतुर्मास का जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी मानों सवाया आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान कर रहे हैं। इसलिए आचार्यश्री नित्य प्रति भगवती सूत्र आगम के माध्यम से श्रद्धालुओं को नित्य नए तत्त्वबोध प्रदान कर रहे हैं, जो उसके माध्यम से इस भवसागर से पार पहुंचने के सन्मार्ग भी प्रदान कर रहे हैं। इतना ही नहीं श्रद्धालुओं को सरसशैली में नित्य प्रति ‘कालूयशोविलास’ के मधुर गायन और आख्यान से आचार्य परंपरा के आठवें आचार्यश्री कालूगणी के जीवनवृत्त एवं उनके द्वारा जनकल्याण के लिए की गई यात्राओं का वर्णन भी कर रहे हैं। आचार्यश्री की इस अमृतवाणी का रसपान करने के लिए नित्य प्रति श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है। साथ ही चतुर्मासकाल के दौरान दर्शन-सेवा और अपने आराध्य के उपासना का लाभ प्राप्त करने हेतु देश-विदेश से श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम भी जारी है। श्रद्धालुओं के आवागमन से पहाड़ों से घिरा नन्दनवन गुलजार बना हुआ है। साथ ही नित्य प्रति होने वाली वर्षा पहाड़ों की सुन्दरता और अधिक बढ़ा रही है, जो प्रकृतिप्रेमियों को अपनी ओर आकृष्ट कर रही है।
शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सोमवार को तीर्थंकर समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवती सूत्र आगम के माध्यम से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि भगवती सूत्र में बहुत गूढ़ ज्ञान समाहित है। इसमें पंचास्तिकाय की बात का वर्णन प्राप्त होता है। छह द्रव्य और नव तत्त्व में पंचास्तिकाय को समाहित किया जा सकता है। दुनिया के मूल में पंचास्तिकाय होता है अथवा उसे छह द्रव्य भी कह सकते हैं। छह द्रव्यों में दुनिया समाहित है। दुनिया को जानने के लिए पंचास्तिकाय और छह द्रव्य को जाना जा सकता है तो वहीं आत्मा के कल्याण की बात नव तत्त्व से प्राप्त की जा सकती है। यह उपयोगितावाद और अस्तित्ववाद की दृष्टि से बताया गया है।
आचार्यश्री ने ‘कालूयशोविलास’ का मधुर व सरसशैली में वाचन करते हुए आचार्यश्री कालूगणी की विहार यात्रा का वर्णन करते कहा कि विहार यात्रा के दिनों में परम पूज्य आचार्यश्री कालूगणी ने डिडवाना पर सात दिनों की कृपा कराई थी और होली चतुर्मास छोटी खाटू में किया था। उस दौरान मुनिश्री तुलसी को दोपहर में व्याख्यान देने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आचार्यश्री बड़ी खाटू, कालू, डेगाना आदि क्षेत्रा में यात्रा के दौरान स्त्रियों के मोक्ष जाने की बात भी बताई थी।
अपने आराध्य के श्रीमुख से आगम में वर्णित तत्त्वबोध बोध व अपने पूर्वाचार्यों के जीवनवृतांत को सुनकर श्रद्धालु जनता भावविभोर नजर आ रही थी। आचार्यश्री की इस कृपा से मुम्बईवासी स्वयं को कृतार्थ महसूस कर रहे थे। मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने इक्कीस रंगी तपस्या के अंतर्गत तपस्यारत तथा आज से तपस्या प्रारम्भ करने वाले तपस्वियों को उनकी धारणा के अनुसार तपस्या का प्रत्याख्यान कराया।