गुजरात,आहवा-डांग
10 जनवरी “विश्व हिंदी दिवस” के अवसर पर सरकारी माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य श्री अमरसिंह ए. गंगोड़ा के मार्गदर्शन में हिंदी विषय के शिक्षक श्री नीलेशभाई डी. गामित एवं श्री राजेशभाई एस. रावल साथ ही NSS कार्यक्रम अधिकारी श्री एम.एस.बागुल एवं श्री एम.जेड.गांगोड़ा एवं विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा “विश्व हिंदी दिवस” मनाया गया।
कार्यक्रम में स्कूल के प्रिंसिपल श्री ए.ए.गंगोड़ा एवं विद्यालय पर्यवेक्षक श्री के.एम.आहीर ने विद्यार्थियों को “विश्व हिंदी दिवस” के महत्व के बारे में जानकारी दी। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता पैदा करना है। हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। अंग्रेजी, चीनी के बाद हिंदी विश्व की तीसरी भाषा है।
इस दिवस को मनाने के संबंध में हिंदी विषय के शिक्षक श्री निलेशभाई डी. गामित एवं श्री राजेशभाई एस. रावल ने विद्यार्थियों को अधिक जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 1918 में हिंदी साहित्य सम्मेलन में जन-मानस की भाषा दिखाकर राष्ट्रभाषा हिंदी बनाने की बात कही गई थी। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए काका साहब कालेलकर, हजारी प्रसाद द्रिवेदी, सेठ गोबिंद दास, मैथिलीशरण गुप्त आदि महान महानुभावों ने 14 सितंबर 1949 को निर्णय लिया कि हिंदी की राजभाषा और लिपि देवनागरी ही रहेगी।
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया, जिसके बाद से 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। पिछले 18 वर्षों से यानि 2006 से 10 जनवरी को “विश्व हिंदी दिवस” के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1975 में प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित किया गया था।
इस कार्यक्रम में स्कूल के हिन्दी शिक्षक श्री डॉ.नीलेशभाई डी. गामित ने हिंदी भाषा के और अधिक प्रचार-प्रसार के महत्व के बारे में बताया। स्कूल डॉ. मनीषभाई गांगोड़ा ने हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने में प्राथमिकता दी।
सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के दिव्यांग शिक्षक श्री राजेश शम्भूलाल रावल द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में विद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।