करवा चौथ…
करवा चौथ का पर्व है आया,
चाँद के इतराने का दिन आया।
ऐ चांद रोज चमकते हो अपने समय पर
लेकिन आज के दिन बहुत सताते और तड़पाते हो ,
हमारे संग लुका – छुपी का खेल खेलते हो ,
बहुत अनुनय के बाद अपना
सुंदर -सलोना शीतल मुखड़ा दिखलाते हो।
तुम्हारे दर्शन होते ही एक ख़ुशी की लहर दौड़ जाती हैं,
सुहागनों की आँखों में एक चमक आ जाती है।
कर के पूजा तुम्हारी, तुम्हें अर्ध्य देकर
पति की उतारकर आरती , अपना व्रत खोलती हैं।
हे चाँद सदा महिलाओं को, अमर सुहागन का वरदान देना।
उनका सिंदूर हमेशा चमकता रहे, ऐसा आशीष देना। इस साल इतना मत तड़़पाना, जल्दी जल्दी आना ।
बादलों के संग लुपाछुपी का खेल
हम को दर्शन दिखा कर फिर खेलना।
रचनाकार:- मंजू लोढ़ा