दिल्ली,साध्वीश्री संगीत श्री जी ने शाहदरा सभा के चातुर्मासिक प्रवचन स्थल ओसवाल भवन में नवाह्निक अनुष्ठान के अष्टम दिवस पर अपने उद्बोधन में फरमाया कि शक्ति का दुनिया में बहुत महत्व होता है।सबसे बडी शक्ति आध्यात्मिक शक्ति होती है।इसलिए ही आचार्यश्री तुलसी व आचार्यश्री महाप्रज्ञ जीने नवाह्निक आध्यात्मिक अनुष्ठान का नया उपक्रम प्रारम्भ किया। आचार्य श्री महाश्रमण के निर्देशन यह उसी रूप मे विधिवत चलता है।आश्विनशुक्ला प्रथमा से प्रारम्भ होकर निरन्तर नौ दिनो तक इसकी साधना आराधना की जाती है। जिसका उद्देश्य होता है आत्मशुद्धि और उर्जा का विकास।इस दौरान सम्पूर्ण विधि विधान के साथ भगवान महावीर की वाणी का प्रवचन रूप मे स्रवण, विशिष्ट मंत्रोचार, आगम स्वाध्याय , तपस्या के साथ व्रत नियम भी साधक व साधिकाएं जितना करते है उतना लाभ दायक होता है। भगवती सूत्र का वाचन करते हुए आपने भगवान महावीर व जयन्ति श्राविका के जिज्ञासा समाधान के रूप में बताया कि धर्माराधना से आत्मा हल्की होती है। तीन महिने तक लगातार सत्य भाषा का प्रयोग करके वचन सिद्धि को प्राप्त किया जा सकता है।
इस अवसर पर साध्वीश्री कमलविभा जी ने फरमाया कि इस समय पृथ्वी पर सूर्य की किरणें अद्भूत कोस्मिक एनर्जी की संवाहक होती है। इनसे धरती पर शक्तिपात होता रहता है, अतः नवरात्रे में शक्तिसंधान के लिए 9 दिवसीय अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए।
दसवा दिन विजया दशमी का भी बहुत महत्व है। सुर्यास्त से एक धन्टे के भीतर अगस्त्य तारे का उदय होता है। इस निश्चित कालखण्ड में की गई साधना अखण्ड होती है।इस से विशेष सिद्धियां प्राप्त की जासकती हैं, आत्म जागृति होती है।आत्मानुभूति और आत्मानन्द की अनुभूति होती है।
पुरी एकाग्रता से विशेष मंत्रों का जप (रंग व केन्द्र के साथ )भी फल दायक होता है।
शाहदरा सभा के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंधी ने बताया कि अनेक पदाधिकारी ओसवाल भवन अध्यक्ष श्री आनन्द बुच्चा, श्री महावीर दुगड, दिल्ली सभा उपाध्यक्ष श्री बाबुलाल दुगड , महिलामण्डल अध्यक्षा सरोज सिपानी,अणुविभा संगठन मंत्री डॉ. कुसुम लुनिया , शाहदरा मंत्री श्री सुरेश भंसाली, सहमंत्री महेन्द्र चोरडिया, समेत अनेकानेक श्रावक श्राविकाएं निष्ठा से अनुष्ठान में सहभागी बन कर साधना द्वारा आघ्यात्मिक शक्ति प्राप्त कर रहे हैं।